लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। साल 1930 में अमेरिका में स्कूल बसों के मानक तय करने के लिए एक राष्ट्रीय बैठक बुलाई गई थी। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक साइर ने इस बैठक में बसों के रंग पर चर्चा की। शिक्षकों, अधिकारियों और निर्माताओं की सहमति से पीले रंग को चुना गया। तब से स्कूल बसों का रंग पीला ही तय हुआ।
विज्ञान के अनुसार, पीला रंग सबसे अधिक विजिबल रंगों में से एक है। यह हमारी आंखों को तुरंत दिखाई देता है और प्रकाश को अधिक रिफ्लेक्ट करता है।
दिन के उजाले में पीला सबसे स्पष्ट दिखता है।
बारिश, कोहरे या धुंध में भी इसकी विजिबिलिटी बनी रहती है।
इससे ड्राइवर दूर से ही बस को देख सकते हैं, जिससे दुर्घटना की संभावना कम होती है।
- हालांकि लाल भी चमकीला रंग है, लेकिन यह पहले से ही खतरे और स्टॉप सिग्नल का प्रतीक है - जैसे ट्रैफिक लाइट, ब्रेक लाइट, और इमरजेंसी संकेतक।
- यदि बसों को भी लाल रंग दिया जाता, तो यह ड्राइवरों को भ्रमित कर सकता था।
पीला रंग इस भ्रम को खत्म करता है और एक स्पष्ट संदेश देता है :
“सावधान रहें, बच्चे सड़क पर हैं।”
स्कूल बसों का पीला रंग सुरक्षा का प्रतीक है, न कि स्टाइल का। यह रंग न केवल दूर से सबसे पहले दिखाई देता है बल्कि सड़क पर बच्चों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देता है। इसलिए जब भी आप पीली बस देखें, याद रखें - यह रंग बच्चों की सुरक्षा की सबसे पहली दीवार है।
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