
लाइफस्टाइल डेस्क: भारत के इतिहास में कई तिथियां ऐसी हैं, जो सदैव अमर रहती हैं और स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष, बलिदान और देशभक्ति की भावनाओं को जीवित रखती हैं। इन्हीं में 7 नवंबर की तारीख भी विशेष मानी जाती है। आजादी की लड़ाई में राष्ट्रभक्ति का जोश बढ़ाने में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम (Vande Mataram History) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह वही रचना है, जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा और जिसे आगे चलकर भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त हुआ। वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर 8 दिसंबर को संसद में विशेष चर्चा आयोजित होगी, जिसकी शुरुआत लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। 9 दिसंबर को राज्यसभा में भी इस विषय पर विमर्श जारी रहेगा। इस स्वर्णिम अवसर पर यह समझना आवश्यक है कि यह गीत कब और कैसे जन्मा तथा कैसे यह स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणास्रोत बना।
जब भारत में ब्रिटिश शासन का प्रभाव बढ़ रहा था, उस समय बंकिम चंद्र चटर्जी सरकारी सेवा में थे। इसी दौरान ब्रिटिश सरकार ने ‘गॉड सेव द क्वीन’ नामक विदेशी गीत को गाना अनिवार्य करने का आदेश जारी किया। यह निर्णय बंकिम चंद्र के स्वाभिमान के विरुद्ध था। उन्हें अस्वीकार्य लगा कि भारतीयों को अपनी ही धरती पर विदेशी सत्ता की प्रशंसा करनी पड़े। विरोध और राष्ट्रभावना की इसी भावना ने उन्हें वंदे मातरम लिखने की प्रेरणा दी।
ब्रिटिश हुकूमत की इस कठोर नीति से आहत होकर बंकिम चंद्र ने यह ठान लिया कि वे एक ऐसा गीत रचेंगे, जो भारत माता की महिमा और गौरव का वर्णन करेगा। इसी विचारधारा से उन्होंने वर्ष 1875 में वंदे मातरम कविता की रचना की। यह कविता पहली बार उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ में प्रकाशित हुई। जल्द ही यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों के लिए ऊर्जा, साहस और प्रेरणा का प्रतीक बन गया।
बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा 1875 में लिखी गई इस रचना के शुरुआती दो पद संस्कृत में हैं और इसके अन्य हिस्से बंगाली भाषा में। रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को सुरबद्ध किया और 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में इसे पहली बार प्रस्तुत किया। बाद में अरबिंदो घोष ने इसका अंग्रेजी अनुवाद किया और आरिफ मोहम्मद खान ने इसका उर्दू रूपांतरण किया।
आजादी के उपरांत 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के साथ ही वंदे मातरम को भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया गया। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, राष्ट्रीय गीत को राष्ट्रगान के समान सम्मान प्राप्त है।
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम्.
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
कोटि कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
अरबिन्द घोष ने गद्य रूप इस गीत का भावानुवाद (Vande Mataram Meaning)
ओ माता, मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूं।
ये धरती पानी से सींची, फलों से भरी, दक्षिण की वायु के साथ शांत है।
हे धरती माता! आपकी रातें चांदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
आपकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।