
लाइफस्टाइल डेस्क। जैसे ही साल खत्म होने की आहट मिलती है, हमारे फोन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमें पूरे साल का हिसाब दिखाने लगते हैं। कहीं गूगल आपकी सर्च आदतों का खुलासा करता है, तो कहीं स्पॉटिफाई साल भर सुने गए गानों की कहानी सुना देता है। ऐसा महसूस होता है मानो बीते 12 महीने एक बार फिर आंखों के सामने लौट आए हों। इसी ट्रेंड को आज हम ‘ईयर एंडर’ के नाम से जानते हैं।
ईयर एंडर का मतलब क्या है
आसान शब्दों में कहें तो ईयर एंडर पूरे साल का एक संक्षिप्त लेखा-जोखा होता है। इसमें यह दिखाया जाता है कि साल भर किन घटनाओं ने सुर्खियां बटोरीं, लोगों ने क्या देखा-सुना, कौन से ट्रेंड्स चर्चा में रहे और किन पलों ने लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। यह बीते साल को एक नजर में समझने का तरीका है।
हजारों साल पुरानी है यह परंपरा
ईयर एंडर कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है। इसकी शुरुआत प्राचीन सभ्यताओं से जुड़ी मानी जाती है। करीब 3000 ईसा पूर्व मिस्र और बेबीलोन जैसी सभ्यताओं में साल भर की बड़ी घटनाओं, मौसम और खगोलीय बदलावों का रिकॉर्ड रखा जाता था। रोमन और ग्रीक काल में भी पूरे वर्ष का विवरण दर्ज करने की परंपरा थी, जो आज डिजिटल रूप में हमारे सामने है।
पंचांग से डिजिटल रीकैप तक का सफर
समय के साथ ईयर एंडर का स्वरूप बदलता गया। पुराने समय में पंचांगों में त्योहारों के साथ-साथ मौसम और ग्रहों की चाल का विवरण होता था। बाद में अखबारों ने साल की प्रमुख खबरों का सार प्रकाशित करना शुरू किया। 1929 में टाइम मैगजीन ने ‘ईयर इन रिव्यू’ की शुरुआत की, जिससे यह चलन और लोकप्रिय हुआ। रेडियो और टेलीविजन के दौर में साल के अंत में खास कार्यक्रमों के जरिए पूरे साल की झलक दिखाई जाने लगी। 2010 के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने ट्रेंड्स को डिजिटल रूप दे दिया। अब यूट्यूब और स्पॉटिफाई जैसे प्लेटफॉर्म व्यक्तिगत ईयर एंडर दिखाते हैं, जो बताते हैं कि यूजर ने साल भर क्या पसंद किया।
ईयर एंडर हमें इतना पसंद क्यों आता है
साल के आखिर में लोग इन रीकैप्स का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
बीते साल की यादें दोहराने से नॉस्टैल्जिया की भावना पैदा होती है।
यह जानने की उत्सुकता रहती है कि साल भर दुनिया में क्या ट्रेंड करता रहा।
साल खत्म होने के साथ एक तरह की संतुष्टि और क्लोजर का एहसास मिलता है, जिससे नए साल की शुरुआत के लिए मन तैयार हो जाता है।
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