नईदुनिया,अनूपपुर(Ganesh Chaturthi 2024)। भगवान शिव की तपस्या स्थली अमरकंटक घनघोर जंगल के बीच प्रथम पूज्य स्वयंभू गणपति विरामान हैं। लोग बताते हैं कि अमरकंटक में मां नर्मदा की पूजा करने का फल भक्तों को तभी मिलता है जब वह धरहर कला के सिद्ध श्री गणेश आश्रम में विराजे गणपति महाराज की पूजा अर्चना, दर्शन पहले करते हैं।
यहां गणेश जी की प्रतिमा करीब 6 फीट लंबाई की है जो लगातार बढ़ रही हैं। इस मंदिर में लोगों की बड़ी आस्था है। दक्षिण मुखी कलचुरी कालीन इस प्रतिमा की मुख्य खास बात यह भी है कि भगवान गणेश की शूंड दक्षिणवर्ती है। जबकि अधिकतर प्रतिमाएं बाईं शूंड की हैं।
यह मंदिर अमरकंटक के पहले धरहर ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्थित है। प्रतिवर्ष यहां बसंत पंचमी के अवसर पर मेला का आयोजन भी होता है। मंदिर परिसर में अत्यंत हरियाली है और यह स्थान अत्यंत रमणीक है।मंदिर के ऊंचाई पहाड़ी पर तीन झरनों का उद्गम भी है जो पहाड़ से उतरकर नाले के स्वरूप में जोहिला नदी से जाकर मिल जाती हैं।
पांडव कालीन एक प्राचीन मंदिर भी है जहां पर भगवान शिव जी की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में ही कलचुरी कालीन भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु जी की भी मूर्तियां हैं। गणेश मंदिर के पूर्वी तरफ गौरीकुंड है।यहां पूरे माह शीतल जल मौजूद रहता है। गौरीकुंड के समीप ही शिव पार्वती जी की भी प्रतिमा विराजमान है। यहां गणेश चतुर्थी के अवसर पर दूर-दूर से भक्तों की भीड़ पहुंचती है और श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।