अशोकनगर(नवदुनिया प्रतिनिधि)। जिले की प्राचीन और पौराणिक नगरी तूमैन अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। यहां मां विंध्यवासिनी का शाश्वत दरबार है। कहते है मां के दर्शनों से श्रद्घालुओं की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मां के दर्शनों के लिए नवरात्रि में बड़ी संख्या में श्रद्घालु पहुंचते हैं।
प्राचीन इतिहास
जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर प्राचीन नगरी तूमैन पूर्व में तुम्बन नगरी के नाम से जानी जाती थी। जो अपभ्रषित होते-होते तूमैन नगरी हो गई है। कहते हैं यह नगरी राजा मोरध्वज की हुआ करती थी। राजा मोर ध्वज के पुत्र तुंग ध्वज हुए। इस नगरी को राजा विक्रमादित्य की नगरी भी कहते है। इस नगरी का महत्व इस बात से जाना जाता है कि उज्जैनी, तुम्बन, भेलसा और काशी को जोड़ने वाला यह मार्ग प्राचीन काल में हुआ करता था तथा राजा विक्रमादित्य के समय का मां विध्वासिनी का यह दरबार है। यहां अखंड ज्योति जलती रहती है। इन ज्योतियों को जलाने के लिए अशोकनगर से भी बड़ी संख्या में श्रद्घालु पहुंचते हैं।
अनेकों खुदाई में कई प्रतिमाएं मिल चुकी हैं
तूमैन नगरी दरअसल जैन और हिन्दू शिल्प के समय की है। इस नगरी से कई प्राचीन प्रतिमाएं भी खुदाई में मिली हैं जो मंदिर के साथ बने कक्ष में देखी जा सकती है। इस स्थान पर कई हजारमुखी शिवलिंग भी है। कहते है कि आज की यह तूमैन नगरी प्राचीन नगरी तुम्बन के ऊपर बसी हुई है। पुरातत्व विभाग के अधिकारी समय-समय पर इस स्थान का निरीक्षण कर चुके हैं। यदि उनकी बात माने तो पुरातत्वी सम्पदा की दृष्टि से यह साइड बहुत रिच है। इस स्थान तक पहुचने के लिए अशोकनगर से सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यहां कचनार से भी सड़क साधनों से और सिरोंज और आरोन से भी पहुचा जा सकता है। वैसे तो यहां वर्षभर श्रद्घालु पहुंचते हैं किन्तु नवरात्रि के पर्व में माता के दरबार में श्रद्घालुओं का पहुंचना सभी 9 दिन जारी रहता है।
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फोटो299सी- मां विध्यवासिनी माता का दरबार।
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खबर नं.17
घट स्थापना के साथ नौ दिवसीय नवरात्रि महापर्व शुरू
भक्तिभाव से झांकी स्थलों तक ले जाई गई देवी मां की प्रतिमाएं, घर-घर हस्त नक्षत्र में की गई मां की स्थापना
अशोकनगर(नवदुनिया न्यूज)। नवरात्रि महापर्व की शुरूआत अशोकनगर शहर में घट स्थापना के साथ भक्तिभाव से हो गई है। देवी मां की आराधना का यह पर्व अशोकनगर शहर में आस्था, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। नवरात्रि महापर्व के प्रथम दिन की शुरूआत को लेकर सुबह से ही श्रद्घालु जहां घरों में देवी मां की स्थापना करने के लिए प्रतिमाएं क्रय करते देखे गए वहीं दूसरी ओर झांकी आयोजक भी झांकी स्थल तक गाजे-बाजों के साथ महारानी मां की प्रतिमाएं ले जाते हुए देखे गए। बारिश के कारण झांकी आयोजकों को घट स्थापना के दिन मां की स्थापना झांकियों में करने के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ी।
नवरात्रि महापर्व का प्रथम दिन मां शैलपुत्री का है। इस बार नवरात्रि महापर्व 10 दिनों तक मनाया जाएगा। इस देवी मां की प्रतिमा के इस महापर्व को लेकर अशोकनगर शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। शहर में छोटी-बड़ी लगभग 80 झांकियां सज रही है। इन झांकियों में देवी मां की स्थापना का 29 सितम्बर को पहला दिन था। इसलिए प्रतिमाओं को झांकी स्थल तक ले जाने में बिलम्ब का सामना करना पड़ा। मौसम की विपरीतता भी झांकी आयोजकों को बैचेन करती रही।
अशोकनगर में इन झांकियों का पर्व रात्रि में शुरू होता है और देर रात तक चलता है। शहर की सड़कों पर झांकियों को निहारने के लिए आने वाले दिनों में श्रद्घालुओं का कारवां नजर आएगा। लोगों ने तरह-तरह से मां की भक्ति के लिए व्रत और उपवासों की अलग-अलग ढ़ंग से तैयारी की है। यह 9 दिन मां की जयकारों के साथ जहां गुजरेंगे वहीं दूसरी ओर उन महिलाओं ने भी इस पर्व पर राहत की सांस ली है जिनके पति पूरे वर्ष में सिर्फ नवरात्रि के पर्व में सिर्फ नशों का त्याग कर देते है। नवरात्रि के पर्व में अनेक स्थानों पर पारायण के पाठ किए जा रहे है। कई लोगों द्वारा जवारे भी उगाए गए हैं। नवरात्रि के इन दिनों में कई जगह माता के जगराता के आयोजन भी होंगे। शहर में पुलिस से लेकर प्रशासन सुरक्षा के इंतजामों को लेकर देखा जाएगा। लेकिन पहले ही दिन बारिस हो जाने से झांकी आयोजकों को झांकी सजाने में और अन्य व्यवस्थाओं को करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा।
झांकी आयोजकों को बैठक में निर्देश दिए गए
1. झांकी सुरक्षा की व्यवस्था आयोजकों को करना होगी।
2. झांकी आयोजकों के नाम रजिस्टर में दर्ज किए जाए।
3. बिजली के तार कटे-फटे न हो।
4. झांकी के मंच को नीचे से चारों ओर से कवर किया जाए ताकि कोई मवेशी न घुस सके।
5. भीड को चलायेमान रखें।
6. भजन के अलावा अन्य कोई गीत न बजाएं।
7. साउंड को सीमित स्थिति में रखे।
8. विसर्जन के दौरान छोटे बच्चों को न ले जाए।
9. 8 से रात्रि 12 बजे तक झांकियां लगाई जाए।
10. प्रत्येक झांकी के पास एक डस्टबिन रखा जाए।
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फोटो299डी- भक्तिभाव से दुर्गाजी की प्रतिमाएं ले जाते हुए श्रद्घालु।