नईदुनिया प्रतिनिधि, बालाघाट। देशभर में शनिवार को मनाया गया रक्षाबंधन का पर्व इस साल भी तिरोड़ी के महकेपार में रहने वाली संघमित्रा खोब्रागड़े के लिए नाउम्मीदी भरा रहा। दरअसल संघमित्रा का छोटा भाई प्रसन्नजीत रंगारी पिछले छह साल से पाकिस्तान की कोट लखपत सेंट्रल जेल में बंद है।
वर्षों से संघमित्रा अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाई है। शनिवार को संघमित्रा ने पहली बार भाई प्रसन्नजीत के लिए भावुक चिट्ठी लिखकर लिफाफे में राखी तो भेज दी, लेकिन पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान में चिट्ठी अथवा कूरियर सेवा बंद होने के कारण संघमित्रा का ये अरमान अधूरा रह गया।
खत में संघमित्रा ने भारत सरकार से राखी स्वीकार करने और इसे पाकिस्तान तक पहुंचाने का निवेदन किया है। संघमित्रा ने लिखा-भाई, रक्षाबंधन पर बहुत याद करती हूं। मैं तुम्हें राखी भेजना चाहती हूं, लेकिन तू भारत से बहुत दूर है। प्यार से भेजी राखी भारत सरकार कुबूल करे और पाकिस्तान के लाहौर कोट लखपत जेल भेजकर बहन का भाई को राखी बांधने का अरमान पूरा करें।
इसके अलावा उन्होंने लिखा, 'हर बहन अपने भाई को राखी बांधती है, लेकिन मैं बदनसीब अपने भाई को राखी नहीं बांध सकती। मां तुम्हें बहुत याद करती है और तेरा इंतजार करती है। तुम्हारी भांजियां भी तुम्हें याद करती हैं और देखना चाहती हैं।’
प्रसन्नजीत के पिता स्व. लोपचंद रंगारी ने कर्ज लेकर बेटे को जबलपुर के गुरु रामदास खालसा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से बी-फार्मा की पढ़ाई कराई। पढ़ाई होते ही वर्ष 2011 में एमपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीयन भी कराया, लेकिन प्रसन्नजीत की मानसिक स्थिति बिगड़ने पर वह घर लौट आया।
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बार-बार घर से भटकने के बाद एक दिन वह भटकते हुए पाकिस्तान पहुंच गया। उसे वहां गिरफ्तार कर कोट लखपत सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया। उसे छुड़ाने और भारत लाने के लिए प्रसन्नजीत का परिवार कई जतन कर चुका है, लेकिन अब तक उनके प्रयासों का सफलता नहीं मिली है।
संघमित्रा ने कहा कि मेरा भाई जिंदा है, इसलिए मैं किसी और को राखी नहीं बांधूंगी। उन्होंने सौगंध ली है कि वह तब तक किसी को राखी नहीं बांधेंगी, जब तक वह अपने भाई को पाकिस्तान की जेल से छुड़वाकर न ले आएं। संघमित्रा ने बताया कि सितंबर 2021 में पाकिस्तान से 25 वर्ष बाद रिहा हुए जम्मू-कश्मीर के कटवा निवासी कुलदीप सिंह ने ही उनके परिवार को प्रसन्नजीत के जेल में बंद होने की जानकारी दी थी। तब से संघमित्रा अपने भाई को छुड़वाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रही है।