
नईदुनिया प्रतिनिधि, बालाघाट: केबी डिविजन के 10 माओवादियों के रविवार को सरेंडर करने के बाद, अगले ही दिन सोमवार को बालाघाट के मोस्ट वांटेड माओवादी दीपक ने अपने तीन साथियों के साथ आत्मसमर्पण किया। दीपक ने लांजी स्थित देवरबेली चौकी में पुलिस के सामने हथियार डाले।

हालांकि, पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने इस जानकारी को गलत बताते हुए सरेंडर की खबर से इंकार किया है। इसके बावजूद सूत्रों का कहना है कि दीपक ने हथियार सौंप दिए हैं और सभी माओवादियों को कड़ी सुरक्षा में जिला मुख्यालय लाया जा रहा है। बताया गया है कि उन्हें आईजी बंगला पहुंचाकर आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
दीपक, जिसे सुधाकर, मंगल सिंह और मेहत्तर उइके नामों से भी जाना जाता है, बालाघाट के पालागोंदी (थाना रूपझर) का निवासी है और लंबे समय से संगठन में सक्रिय रहा है। वह कई माओवादी वारदातों में शामिल रहा है।
इधर, छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में सोमवार को हार्डकोर माओवादी रामधेर, चंदू, ललिता समेत 12 वर्दीधारी माओवादियों ने समर्पण किया है। इनमें बालाघाट के राशीमेटा गांव का 65 वर्षीय संपत भी शामिल है, जो वर्षों से आत्मसमर्पण करने की इच्छा रखता था।
बालाघाट में बीते 11 दिनों में दर्रेकसा और केबी डिविजन के कुल 33 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिसे माओवाद विरोधी अभियान की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। सोमवार को खैरागढ़ में हुए 12 सरेंडर के बाद मप्र (विशेषकर बालाघाट) में माओवाद समाप्ति की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। पुलिस का दावा है कि लाल आतंक लगभग खत्म होने वाला है।
सूत्र बताते हैं कि बालाघाट के जंगलों में अब केवल दीपक ही सक्रिय बचा है, जिसके सामने अब सरेंडर या मुठभेड़ में मारे जाने के दो ही विकल्प हैं। 90 के दशक से लाल आतंक झेलते बालाघाट में 28 नवंबर के बाद से लगातार घटनाक्रम निर्णायक मोड़ ले रहे हैं।
28 नवंबर को बालाघाट की संगीता, एमएमसी जोन प्रवक्ता अनंत उर्फ विकास सहित 11 माओवादियों ने गोंदिया में महाराष्ट्र पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद 7 दिसंबर को हार्डकोर माओवादी कबीर, विकास सहित केबी डिविजन के 10 माओवादियों ने हथियार छोड़े। और अब 8 दिसंबर को छत्तीसगढ़ में रामधेर और चंदू जैसे नामी माओवादियों सहित 12 ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा अपनाई है।
स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि "मिशन 2026" समय से पहले पूरा हो सकता है। रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी जनवरी में माओवादमुक्त बालाघाट का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया था। एक के बाद एक सरेंडर से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि अब केवल आधिकारिक घोषणा शेष है।
सोमवार सुबह करीब सात बजे 12 साथियों के साथ हथियार डालने वाला रामधेर मज्जी 45 लाख रुपये का इनामी है। वह केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम) और मध्यप्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन का प्रभारी है। हाल ही में उसे एमएमसी जोन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वही क्षेत्र, जहां कुछ दिन पहले माओवादी प्रवक्ता अनंत उर्फ विकास ने 10 साथियों सहित समर्पण किया था।
रामधेर के साथ आठ-आठ लाख के इनामी डिविजनल कमेटी सदस्य (DVCM) चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम, पांच-पांच लाख के इनामी एरिया कमेटी सदस्य रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम, तथा दो-दो लाख के इनामी लक्ष्मी, शीला, सागर, कविता और योगिता ने भी संगठन से नाता तोड़ दिया है।
इन सभी ने कुल 10 हथियार पुलिस को सौंपे, जिनमें एके-47, इंसास, एसएलआर, 303 और 30 कैलिबर कार्बाइन शामिल हैं। रामधेर का समर्पण एमएमसी जोन में माओवादी तंत्र को बुरी तरह हिला देने वाला माना जा रहा है।