
नईदुनिया प्रतिनिधि, बड़वानी। प्रदेश में बाघ व वन्य जीवों की गणना का कार्य पूरा हो चुका है। वहीं नए साल में अब मध्य प्रदेश के सभी जिलों में पक्षियों की भी गणना होगी। 3 व 4 जनवरी को जंगल व वेटलैंड क्षेत्र में पक्षियों की गणना की जाएगी। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि स्थानीय देसी पक्षी कितने हैं, वहीं विदेशी प्रवासी पक्षियों की संख्या व आवास की क्या स्थिति है। पक्षियों के घोंसलों और उनके प्रजनन के साथ ही पारिस्थितिक तंत्र का आकलन किया जाएगा।
बड़वानी वन मंडल अधिकारी आशीष कुमार बंसोड़ के अनुसार नए साल में पक्षियों की गणना होगी। इस कार्य में वन विभाग वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स व पक्षी प्रेमियों की मदद लेगा। इसमें पर्यावरण सेवी व पक्षी प्रेमियों की मदद से यह पता लगाया जाएगा कि कौन से पक्षी वेटलैंड वाले क्षेत्रों में आवाजाही कर रहे हैं। वहीं यहां किन पक्षियों का स्थायी व अस्थायी निवास रहता है। पूरे मध्य प्रदेश में पहली बार बड़े स्तर पर यह गणना हो रही है। एमपी के सारे जिलों में हो रही है। नदी-किनारे नमी वाली भूमि पर पाए जाने वाले पक्षियों की गणना की जाएगी। प्रवासी व देशी-विदेशी पक्षियों की गणना की जाएगी। वेटलैंड की घास पानी को शुद्ध करती है, यह पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है।
समृद्ध बड़वानी के वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट एवं पक्षी विशेषज्ञ गौरव निगम ने बताया कि पक्षियों की गणना से कई रोचक बातें सामने आएंगी। नए पक्षियों की जानकारी मिलेगी। वैसे भी ठंड के मौसम में विविध क्षेत्रों में विदेश जैसे यूरोप रशिया, चीन, मंगोलिया के साथ-साथ हिमालय क्षेत्र के पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ है। शीतकाल में वेटलैंड क्षेत्र में देशी विदेशी पक्षियों का प्रवास रहता है। विदेश में इस समय अत्यधिक सर्दी और बर्फ होने के कारण इन्हें वहां पर भोजन और आवास की कमी हो जाती है, जिसके कारण यह पलायन करके भारत के उन क्षेत्रों में आते हैं जहां पर इन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन मिल सके, साथ ही यह अपना प्रजनन क्षेत्र भी ढूंढकर प्रजनन संख्या बढ़ाते हैं।
उन्होंने बताया कि बड़वानी शहर के आसपास एवं जिले में तालाबों के साथ-साथ वन क्षेत्र जहां-जहां हैं वहां पर जैसे-जैसे सर्दी का प्रभाव बढ़ा परिंदों की संख्या भी बढ़ी। सभी पक्षी छोटे हो या बड़े आकार के बड़े ही सुंदर और विशिष्ठ रंग में इनके पंख इस समय पर रहते हैं और ये प्रवासी पक्षी इस सर्दी के मौसम खत्म होते ही वापस चले जाते हैं और फिर हम इन्हें अगली सर्दी में ही देख पाएंगे। आम व्यक्ति भी इन्हें आसपास के खेतों, तालाबों, बगीचों या नगर वन में देख सकते है। जरूरत है हमें हमारे आसपास के पर्यावरण को संरक्षित एवं साफ रखने के लिए साथ ही साथ पक्षियों एवं उनके आवासों को जितना कम डिस्टर्ब करें उतने ही अधिक पक्षी देखने को मिलेंगे।
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शीत ऋतु के प्रमुख पक्षी जो अभी दिखाई दे रहे हैं उनमें रोजी स्टर्लिंग या गुलाबी मैना, साइबेरिया स्टोनचेट, यूरोप से आने वाला यूरेशियन रेने , यूरेशियन केस्ट्रेल और कश्मीर से आने वाले टाइगा फ्लायकैचर के साथ ही ग्रीन बी ईटर, ब्लू राक थ्रश, येलो वेगटेल, ग्रे वेगटेल, ट्री पीपीट, ग्रे नेक्ड बंटिंग, ब्लैक रेड स्टार्ट भी दिखाई दे रहे हैं। वन्यजीव गणना में तेंदुओं की बढ़ोतरी के साक्ष्य मिले ज्ञात रहे कि सतपुड़ा की पर्वत श्रेणियों और नर्मदा किनारे बसे बड़वानी वन मंडल में तेंदुओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वन मंडल ने बाघों का सर्वेक्षण पूर्ण हो गया है। यह सर्वेक्षण कार्य राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसी) और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट आफ इंडिया (डब्लूआईआई) के राष्ट्रीय ढांचे के तहत किया गया।
इस दौरान लगभग 56 स्थलों पर तेंदुआ के पर्गमार्क मिले हैं। इसके अलावा तेंदुआ के पेड़ों पर नाखून के निशान भी पाए गए हैं। जंगलों में सभी प्रकार के वन्य जीवों के मल-मूत्र के सैंपल भी लिए गए हैं। सभी वन्यजीवों की उपस्थिति 3 से 4 तरीके से ली गई है। जानकारी के अनुसार बड़वानी वन मंडल का कुल क्षेत्र करीब 895 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 65 बीटों में इकोलॉजी एप के माध्यम सात दिनों में प्रतिदिन सुबह छह बजे से बाघ गणना का कार्य पूर्व से निर्धारित मापदंडों के अनुसार किया गया है।