
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। नए साल में इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) के लाखों लीजधारियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। उनको अपने काम के लिए कार्यालय के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल जाएगी और समय सीमा में उनका काम हो सकेगा। फाइलों के अंबार और प्रकरणों के अटकने से परेशान आमजन के लिए आईडीए अब पूरी तरह डिजिटल व्यवस्था शुरू कर रहा है। नए साल से आइडीए में ई-फाइलिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिससे प्राधिकरण से जुड़े प्रत्येक प्रकरण की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध होगी। वहीं लीज नवीनीकरण, नामांतरण से लेकर भूमि का निरीक्षण सब कुछ ऑनलाइन होगा।
आइडीए नवाचार के तहत ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत करने जा रहा है। इस नई व्यवस्था के लागू होते ही लीज नवीनीकरण, नामांतरण, निरीक्षण रिपोर्ट और अन्य संपत्ति संबंधी मामलों में पारदर्शिता और गति दोनों आएंगी। आवेदकों को अपने प्रकरण की स्थिति मोबाइल और ईमेल के माध्यम से समय-समय पर मिलती रहेगी, जिससे उन्हें बार-बार कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आवेदकों को न्यायालयीन या जटिल विवाद वाले मामलों में ही आइडीए बुलाया जाएगा। ऐसे मामलों में भी प्रयास रहेगा कि एक ही बैठक में समाधान हो जाए। आइडीए सीइओ डॉ. परिक्षित झाड़े का कहना है कि नए साल से ई-फाइलिंग सिस्टम और लीज नवीनीकरण की पूरी प्रक्रिया डिजिटल कर दी जाएगी। इससे अंतरविभागीय पत्राचार उसी दिन पूरा होगा और अन्य विभागों से जानकारी भी तुरंत मिल सकेगी।
आइडीए में ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया जारी है, लेकिन उपभोक्ताओं को दस्तावेजों की कमी या जानकारी के लिए कई बार कार्यालय आना पड़ता था। नई व्यवस्था में आवेदन से लेकर निराकरण तक हर चरण की सूचना आवेदक को मोबाइल या ईमेल पर मिलेगी। दस्तावेजों में कमी होने पर मैसेज आएगा और उपभोक्ता घर बैठे ही स्कैन कर दस्तावेज अपलोड कर सकेगा।
लीज नवीनीकरण और नामांतरण में इंजीनियर द्वारा मौका मुआयना कर रिपोर्ट दी जाती है, इसके कई बार विलंब होता है। ई-फाइलिंग सिस्टम के तहत इंजीनियर जियो टैग इमेज के साथ मौके पर निरीक्षण करेंगे और उसी समय रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड की जाएगी। इसकी जानकारी भी तुरंत आवेदक को मिल जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों की सीधी निगरानी से फाइल दबाने या अनावश्यक विलंब की गुंजाइश खत्म होगी।
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हर माह चार से साढ़े चार हजार के करीब आवेदक अलग-अलग कार्यों के लिए आइडीए आते है। ई-फाइलिंग से न सिर्फ इन आवेदकों का समय बचेगा, बल्कि कार्यालय में भीड़ का दबाव भी कम होगा। प्राधिकरण की करीब 50 हजार संपत्तियों से जुड़े लीजधारियों को इस व्यवस्था का सीधा लाभ मिलेगा। वहीं फाइल में लगने वाले कागजों का खर्च कम होगी और रिकार्ड संभालने की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी।