बड़वानी (विवेक पाराशर)। एक ओर जहां आज हर युवा शासकीय नौकरी के लिए प्रयासरत नजर आता है, वहीं जिले के एक शिक्षक ने आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ रखने के लिए शासकीय नौकरी का त्याग कर दिया। हम बात कर रहे हैं पानसेमल निवासी योग गुरु कृष्णकांत सोनी की। उन्होंने योग का प्रकाश फैलाने के लिए 23 साल से जारी सरकारी नौकरी छोड़ दी। क्षेत्र व आसपास के जिलों सहित विभिन्न् प्रदेशों और श्रीलंका, कम्बोडिया तक में योग का प्रशिक्षण दे चुके हैं।
एक जुलाई 1965 को जन्मे कृष्णकांत सोनी वर्ष 1988 में सहायक शिक्षक बने थे। प्रशासन की ओर से ही वर्ष 2001 में उन्होंने भोपाल में योग का प्रशिक्षण प्राप्त कि या। उन्होंने बताया कि योग का प्रशिक्षण प्राप्त करते ही मनोभाव बदले और आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ बनाने की ललक जागी। शिक्षक रहते हुए ही उन्होंने क्षेत्र के विभिन्न् स्कू लों में अपने खर्च पर बच्चों को योगासन सिखाना शुरू कि या। इसके लिए उन्होंने शासन से कभी टीए-डीए नहीं लिया। धीरे-धीरे योग की ओर उनकी रुचि बढ़ती गई। एक समय ऐसा आया कि योग का प्रसार करने में शासकीय नौकरी बाधक लगने लगी। 23 वर्ष नौकरी करने के बाद वर्ष 2011 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
पेंशन से करते हैं सामग्री वितरण
योग गुरु सोनी ने अब तक सात हजार से अधिक शिविरों में हजारों विद्यार्थियों व आमजन को निशुल्क योग प्रशिक्षण दिया है। यहां तक कि आने-जाने का खर्च भी खुद ही वहन करते हैं। उनको मिलने वाली पेंशन से वे जलनेति के लोटे, आईवाश, योग साहित्य आदि का निशुल्क वितरण करते हैं। उन्होंने क्षेत्र के विभिन्न् जिलों सहित महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान आदि में भी योग प्रशिक्षण दिया है। वर्ष 2013 में वे श्रीराम यात्रा के तहत श्रीलंका गए थे। वहां भी उन्होंने योग सिखाया। 2017 में कम्बोडिया यात्रा के दौरान योग सिखाया। इसके अतिरिक्त वर्ष 2012, 2014 व 2016 में वे मानसरोवर यात्रा कर चुके हैं। इस दौरान भी उन्होंने यात्रियों व अन्य लोगों को योग का प्रशिक्षण दिया।
कई बार हो चुके सम्मानित
योग के प्रति जीवन समर्पित कर चुके योग गुरु सोनी विभिन्न् मंचों से कई बार सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या सहित कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं।
तन ही नहीं मन पर भी होता है असर
योग गुरु सोनी ने नईदुनिया से विशेष चर्चा में बताया कि योग और प्राणायाम का असर सिर्फ तन पर ही नहीं बल्कि मन पर भी होता है। योग से व्यभिचार, भ्रष्टाचार, धर्मांतरण आदि में कमी आ सकती है। वहीं योग राष्ट्रभक्ति व संस्कृति की भावना को प्रबल करता है। आज यदि बच्चों को योग प्रशिक्षण दिया जाता है तो भविष्य में एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर व स्वाभिमानी राष्ट्र का निर्माण होगा।