नईदुनिया प्रतिनिधि, भिंड। मतदान की तारीख नजदीक आते ही प्रत्याशियों ने भी चुनावी जनसंपर्क तेज कर दिया है। अलसुबह घर से वार्डो, गांवों में घूम रहे नेता रात को ही लौट रहे हैं। देर रात तक बैठकों और रणनीति बनाने का दौर चल रहा है। इस दौरान भी वे स्वास्थ्य को लेकर कोई समझौता नहीं कर रहे हैं। उनका मानना है कि वे चुनाव प्रचार में फिट रहेंगे तो ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक संपर्क कर अपनी बात पहुंचा सकेंगे। इससे उनके जीतने के आसार भी बढ़ जाएंगे। इसलिए वे सेहतमंद बने रहने के लिए हर फंडा अपना रहे हैं।
मौसम परिवर्तन के साथ ही चुनाव प्रचार का आगाज हुआ है। प्रत्याशी पहले सुबह घूमने या योग-ध्यान का सहारा लेते थे। चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें घूमना तो प्रतिदिन पड़ रहा है लेकिन जिम-एक्सरसाइज पूरी तरह से बंद हो गई है। योग और ध्यान भी नियमित नहीं रह पाया है। इसके अलावा समर्थकों से लंबी चर्चा और प्रचार के कारण खानपान भी अनियमित हो गया है।
प्रचार भी जरूरी है इसलिए वे खान-पान से लेकर फिजियोथैरेपी करवाने तक का ध्यान रख रहे हैं। इतना ही नहीं, प्रत्याशी अपने पारिवारिक डाक्टर से सलाह लेकर क्षेत्र में प्रचार करने जाते हैं। प्रत्याशी बीपी, हार्ट, संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं। इस पर वे डाक्टर की सलाह पर ही क्षेत्र में घूमते हैं। डाक्टर उन्हें जूस पीने या दिन में अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दे रहे है। बाहर का तेल या मसाले का खाना खाने से बचने के लिए फल खाने की सलाह दे रहे हैं।
वरिष्ठ मेडिसिन विशेषज्ञ डा. अजीत मिश्रा का कहना है कि अधिक से अधिक चलने के लिए ऊर्जा की भी जरूरत होती है। इसलिए यह खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है।
लगातार चलने से कुछ प्रत्याशियों के पैरों में परेशानी होती है। दर्द होने पर प्रत्याशी वाहन का उपयोग करते हैं। छाले होने पर प्रत्याशी रात को मल्हम लगाकर दिन में प्रचार करते हैं। दर्द होने पर गर्म पानी से सिंकाई कर रहे हैं। प्रत्याशियों का कहना है कि उनके पास विकल्प नहीं है। समय कम हैं, इसमें ही हर मतदाता से मिलना है इसलिए खुद का ध्यान रखते हुए प्रचार करना होगा।
प्रचार के दौरान प्रत्याशियों को मतदाताओं से लगातार बात करना पड़ती है। कई स्थानों पर वे छोटी-छोटी सभाएं भी ले रहे हैं। इससे उनकी आवाज बैठ रही है। मौसम से परेशानी ज्यादा है। नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डा. आरएन राजौरिया का कहना है प्रत्याशी सुबह गरारा करें और ठंडा पानी न पिएं तो गले के संक्रमण से बच सकते हैं। ज्यादा समस्या होने पर मेडिसिन ले सकते हैं।