राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत 5.32 करोड़ हितग्राही हैं। इसमें 71 लाख किसान भी शामिल हैं। किस किसान के पास कितनी भूमि है, इसका पता लगाने के लिए राजस्व विभाग के डेटा से मिलान कराया जा रहा है। इसके आधार पर राज्य सरकार निर्णय लेगी कि किसे पीडीएस प्रणाली में रखना है और किसे नहीं। बड़े क्षेत्र वाले किसान पीडीएस की सूची से बाहर किए जा सकते हैं।
भारत सरकार ने प्रदेश को 75 लाख पीडीएस के हितग्राहियों की सूची भेजी है। इसमें वे हितग्राही भी हैं, जिनकी वार्षिक आय छह लाख से अधिक है, कंपनी में संचालक हैं या फिर जीएसटी के दायरे में आते हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि वाले किसानों को भी शामिल किया है।
यद्यपि, इनके बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं, लेकिन राज्यों से कहा गया है कि वे अपने स्तर से नीति निर्धारित कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि राजस्व विभाग के डेटा से यह जानकारी निकाली जा रही है कि किस किसान के पास कितनी भूमि है। ऐसे किसान, जिनके पास पांच एकड़ से अधिक भूमि है, उनके संबंध में आगे चलकर निर्णय लिया जा सकता है।
उधर, जिलों में कराई जांच के बाद अपात्र हितग्राहियों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं। छह लाख से अधिक वार्षिक आय वाले 1.57 हितग्राही चिन्हित किए गए थे। इनमें से 16 हजार के नाम सरकार पहले ही हटा चुकी है और भारत सरकार के निर्देश के बाद अब तक 1,909 नाम हटाए गए हैं।
इसी तरह कंपनी में संचालक होने के बाद निश्शुल्क मिलने वाला राशन लेने वाले 18 हजार हितग्राहियों में 1,100 के नाम पहले हटाए गए हैं और अब 106 को सूची से बाहर किया है। जीएसटी देने वाले 1,381 हितग्राहियों में से 139 और 1.51 डुप्लीकेट श्रेणी के हितग्राहियों में से 20 हजार के नाम हटा दिए हैं।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सभी जिलों में अपात्रों के सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है और जैसे-जैसे यह काम पूरा होता जा रहा है, वैसे-वैसे नाम काटे जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इसके पहले ई-केवाईसी कराकर लगभग 20 लाख अपात्रों के नाम सूची से हटाए जा चुके हैं।