
डिजिटल डेस्क, भोपाल। जब हम भारत के नक्शे पर नजर डालते हैं, तो मध्य प्रदेश ठीक केंद्र में स्थित दिखाई देता है। भौगोलिक रूप से देश के हृदय स्थल पर बसा यह राज्य सिर्फ एक भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि भारत की विविधता, संस्कृति और प्राकृतिक संपदाओं का जीता-जागता प्रतीक है। शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश को सिर्फ “भारत का दिल” ही नहीं, बल्कि कई और अद्भुत नामों से भी जाना जाता है। हर नाम अपने भीतर इस भूमि की एक नई कहानी, एक नई पहचान और एक नया गौरव समेटे हुए है।
मध्य प्रदेश को “भारत का दिल” कहना यूं ही नहीं है। यह राज्य देश के ठीक मध्य में बसा है और उत्तर तथा दक्षिण भारत के बीच सेतु का काम करता है। विंध्य और सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाएं इसे दो भागों में विभाजित करती हैं, जो इसे भौगोलिक दृष्टि से विशेष बनाती हैं।
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यहां की भूमि उत्तर के मैदानों से लेकर दक्षिण के पठारों तक का रूप धारण करती है, जिससे राज्य की भौगोलिक विविधता और समृद्ध प्राकृतिक स्वरूप सामने आता है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश न केवल भारत का केंद्र बिंदु है बल्कि देश की आत्मा को भी प्रतिबिंबित करता है।
मध्य प्रदेश का दूसरा नाम “टाइगर स्टेट” है। यह नाम इस राज्य को इसलिए मिला क्योंकि यहां भारत में सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं। वर्तमान में एमपी में लगभग 785 से अधिक बाघ निवास करते हैं। राज्य में बाघ संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं। कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच और संजय जैसे टाइगर रिजर्व न केवल बाघों का घर हैं, बल्कि विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करने वाले प्रमुख स्थल भी हैं। कुल मिलाकर 9 टाइगर रिजर्व होने के कारण मध्य प्रदेश बाघों के संरक्षण का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है।

मध्य प्रदेश की भूमि न केवल वन संपदा से भरपूर है, बल्कि कृषि के क्षेत्र में भी यह अग्रणी है। यहां सोयाबीन की खेती इतनी बड़े पैमाने पर होती है कि इसे “सोया स्टेट” या “प्रोटीन कैपिटल ऑफ इंडिया” कहा जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, मध्य प्रदेश देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में 40% से अधिक योगदान देता है। यहां की जलवायु और उपजाऊ मिट्टी सोया उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल है। यही कारण है कि यह राज्य भारत के कृषि मानचित्र पर एक प्रमुख पहचान रखता है।

अगर प्राकृतिक संपदा की बात करें, तो मध्य प्रदेश को “हीरा राज्य” कहा जाना बिल्कुल उचित है। पन्ना की प्रसिद्ध हीरा खदानें इस राज्य को विश्व पटल पर विशिष्ट स्थान दिलाती हैं। भारत के कुल हीरा भंडार का 90% से अधिक हिस्सा यहीं पाया जाता है। पन्ना की धरती से निकले चमकते हीरे इस राज्य की समृद्धि और गौरव का प्रतीक हैं।

मध्य प्रदेश को “नदियों का मायका” कहा जाता है, क्योंकि यहां से कई महान नदियों का उद्गम होता है। नर्मदा, चंबल, बेतवा, सोन, ताप्ती जैसी प्रमुख नदियां इसी भूमि से निकलती हैं। इन नदियों ने न केवल इस राज्य की धरती को सींचा है, बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी जीवनदान दिया है। करीब 200 से अधिक छोटी-बड़ी नदियां इस राज्य में बहती हैं, जो इसकी प्राकृतिक संपदा और पारिस्थितिक संतुलन का आधार हैं।

मध्य प्रदेश को “लघु भारत” यानी Mini India भी कहा जाता है। इसकी वजह है यहां की सांस्कृतिक विविधता। एमपी पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से घिरा हुआ है, इसलिए यहां भाषाओं, भोजन, पहनावे और परंपराओं का अनोखा संगम दिखाई देता है। मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड, बघेलखंड और ग्वालियर जैसे क्षेत्र अपने अलग रंग और स्वाद लिए हुए हैं।

यहां मैदान हैं, पठार हैं, ऊंचे पहाड़ हैं, घने जंगल हैं यानी भारत की पूरी भौगोलिक तस्वीर एक ही राज्य में समाई हुई है। इसके साथ ही, यहां भारत की सबसे बड़ी जनजातीय आबादी भी निवास करती है, जो इसे “विविधता में एकता” का जीवंत उदाहरण बनाती है।
मध्य प्रदेश को “तेंदुआ राज्य” भी कहा जाता है। यहां तेंदुओं की संख्या भारत के किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। एमपी के विस्तृत जंगल और अनुकूल पर्यावरण तेंदुओं को सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं। यह राज्य वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भी एक मिसाल बन चुका है।

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मध्य प्रदेश के ये अलग-अलग नाम भारत का दिल, टाइगर स्टेट, डायमंड स्टेट, नदियों का मायका, लघु भारत, सोया स्टेट और तेंदुआ राज्य सिर्फ उपनाम नहीं हैं, बल्कि इस भूमि की आत्मा को दर्शाते हैं। यह राज्य अपने भीतर संस्कृति, प्रकृति, इतिहास और मानवता का ऐसा संगम समेटे हुए है जो पूरे भारत का सार है। कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का जीवंत रूप है।