
मोहम्मद अबरार खान, नईदुनिया, भोपाल: भोपाल के भोज वेटलैंड (बड़ा तालाब) में दुनिया के सबसे छोटे और अत्यंत फुर्तीले शिकारी पक्षियों में शुमार 'मर्लिन फाल्कन' (मर्लिन बाज़) को पहली बार देखा गया है। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, आधिकारिक रिकॉर्ड के आधार पर यह न केवल भोपाल, बल्कि संपूर्ण मध्य प्रदेश में इस दुर्लभ पक्षी की पहली 'साइटिंग' (उपस्थिति) है।
इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह पक्षी प्रेमी अरुण त्यागी, जगदीश जटिया और शैलेंद्र बड़ोनिया बने। बर्डिंग के दौरान उन्होंने इस दुर्लभ बाज को न केवल करीब से देखा, बल्कि इसके स्पष्ट फोटोग्राफ भी लिए। मध्य प्रदेश के पक्षी डेटाबेस में मर्लिन फाल्कन की पहली आधिकारिक एंट्री होने से वन्यजीव प्रेमियों और बर्डिंग समुदाय में जबरदस्त उत्साह है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पक्षी का भोपाल आना यहां के पारिस्थितिकी तंत्र (इकोलॉजी) के स्वस्थ होने का प्रमाण है।
ऐसा बताया जाता है कि मर्लिन बाज़ फाल्कन परिवार का एक छोटा लेकिन अत्यंत साहसी सदस्य है। इसकी लंबाई महज 24 से 33 सेंटीमीटर और पंखों का फैलाव 50 से 70 सेंटीमीटर तक होता है। आकार में छोटा होने के बावजूद इसकी शिकार करने की क्षमता इसे विशेष बनाती है। अन्य बाज़ों की तरह ऊंचाई से गोता लगाने के बजाय, यह जमीन के समानांतर बहुत तेज गति से उड़ते हुए अचानक शिकार पर झपट्टा मारता है। गौरैया जैसे छोटे पक्षी इसके मुख्य आहार होते हैं।
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मर्लिन मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के उत्तरी हिस्सों (उत्तरी गोलार्द्ध) में पाया जाता है। कड़ाके की ठंड शुरू होते ही यह पक्षी गर्म क्षेत्रों की ओर प्रवास करता है। भारत में इसे एक दुर्लभ ''शीतकालीन प्रवासी'' माना जाता है, जो अब तक मध्य प्रदेश की सीमाओं से दूर था।
भोज वेटलैंड में इस शिकारी पक्षी की उपस्थिति यह दर्शाती है कि बड़ा तालाब के आसपास का क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित और भोजन की उपलब्धता से भरपूर है। हालांकि, विशेषज्ञों ने भविष्य के लिए आगाह भी किया है कि कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग और प्राकृतिक आवासों के नुकसान से इन पक्षियों के अस्तित्व पर संकट मंडरा सकता है