
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। भोपाल के जिला उपभोक्ता आयोग ने साफ किया है कि एटीएम बैंक का है तो उससे होने वाली किसी भी दुर्घटना के लिए बैंक ही जिम्मेदार होगा। इस आधार पर आयोग ने बैंक के इस तर्क को खारिज कर दिया कि एटीएम की बाहरी व्यवस्था एजेंसी देखती है, इसीलिए बैंक को जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए। आयोग ने कहा कि एजेंसी भी बैंक की ओर से अधिकृत की गई है, इसलिए बैंक जिम्मेदारी से इनकार नहीं कर सकता।
इस आधार पर बैंक ने पैसे निकालने पहुंचे उपभोक्ता को एटीएम का दरवाजा गिरने से घायल होने पर इलाज में हुए खर्च की भरपाई के लिए हर्जाना के रूप में डेढ़ लाख रुपये का भुगतान करने के आदेश किया है। पिछले वर्ष हुई दुर्घटना में एटीएम का दरवाजा खोलते ही कांच की दीवार उपभोक्ता के ऊपर गिर गई। इसकी वजह से उसको काफी चोट आई। कलाई की नसें क्षतिग्रस्त हुईं। उपचार पर 1.36 लाख रुपये खर्च हो गया। पीड़ित संतोष कुमार श्रीवास्तव ने जिला उपभोक्ता आयोग में भारतीय स्टेट बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक के खिलाफ नवंबर 2024 में याचिका दायर की थी।
कहा गया कि वह बैंक की जेपी अस्पताल शाखा स्थित एटीएम से रात नौ बजे पैसा निकालने गए। एटीएम के अंदर प्रवेश करते समय दरवाजे से लगी कांच की दीवार उनके ऊपर गिर गई। इससे उनकी कलाई कट गई। वह बेहोश हो गए। उनके साथियों ने अस्पताल पहुंचाया। वहां जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि कलाई की सभी नसें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। कांच के छोटे-छोटे टुकड़े उसमें घुस गए हैं, जिसे सर्जरी कर निकालना पड़ेगा। इसके इलाज के लिए उन्हे सात दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इलाज पर 1.36 लाख रुपये खर्च हो गए।
बैंक से शिकायत की तो उसने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। उसके बाद मामला उपभोक्ता आयोग पहुंचा। एसबीआई का कहना था कि एटीएम का प्रबंधन एफएसएस एजेंसी करती है। वह बैंक से अलग है, इसलिए दुर्घटना की जिम्मेदारी उनकी नहीं है। बैंक ने घटना को भी संदिग्ध बताया। बैंक के तर्कों को खारिज करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग ने कहा कि उपभोक्ता बैंक का खाताधारक है। जिस एटीएम में यह दुर्घटना हुई वह उसी बैंक का था। एटीएम के रखरखाव, निर्माण और सुरक्षा में लापरवाही से ग्राहक को कोई नुकसान होता है तो हर हाल में बैंक जिम्मेदार होगा।
आयोग ने बैंक को आदेशित किया कि वह उपभोक्ता के इलाज पर खर्च एक लाख 36 हजार रुपये की राशि सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से अदा करे। इसके साथ ही मानसिक रूप से हुई परेशानियों के लिए 15 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के तौर पर देने का भी आदेश दिया।