नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। सितंबर माह को बाल कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में एम्स भोपाल के बाल रोग विभाग की बाल चिकित्सा ओपीडी में एक जागरूकता वार्ता का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में डॉक्टरों, कैंसर से जूझ रहे बच्चों, उनके अभिभावकों और आसपास के लोगों ने हिस्सा लिया।
विशेषज्ञों ने बताया कि अगर बाल कैंसर की समय पर पहचान हो और पूरा इलाज लिया जाए, तो 80 से 90 प्रतिशत मामलों में बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं।
टीमवर्क से बेहतर इलाज
डीएम पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी के रेज़िडेंट्स डॉ. पक्कीरेश रेड्डी और डॉ. अनुराग मोहंती ने बताया कि बाल कैंसर के कई प्रकार होते हैं और उनके शुरुआती लक्षणों की पहचान बेहद जरूरी है।
बाल रोग विभाग की प्रमुख डॉ. शिखा मलिक ने कहा कि कैंसर के इलाज में टीमवर्क की अहम भूमिका होती है। वहीं, एनाटॉमी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. बर्था रथिनम ने बताया कि बच्चों की देखभाल केवल दवाइयों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समाजसेवी, मनोवैज्ञानिक, डाइटिशियन और अन्य विशेषज्ञों का सहयोग भी जरूरी है।
बच्चों के लिए "होम अवे फ्रॉम होम" सुविधा
कैनकिड्स संस्था की मदद से एम्स भोपाल कैंपस के पास बच्चों को “होम अवे फ्रॉम होम” नामक सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यहां बच्चों और उनके परिजनों को सुरक्षित आवास, पोषण और अन्य सहायक सेवाएं मिल रही हैं।
डॉ. वैशाली वाल्के (प्रमुख, पैथोलॉजी विभाग) ने बताया कि एम्स भोपाल में आधुनिक जांच सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनसे बीमारी की सही और जल्दी पहचान संभव हो रही है।
हेल्पलाइन नंबर भी जारी
इस अवसर पर अभिभावकों और बच्चों ने भी अपने अनुभव साझा किए और बताया कि नियमित और पूरा इलाज ही बच्चों को जीवनदान दे सकता है।अन्य विभागों से डॉ. प्रियंका (रेडियोथेरेपी) और डॉ. महेंद्र (बाल शल्य चिकित्सा) ने प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया। डॉ. नरेंद्र चौधरी ने कहा कि बहुविषयक उपचार से बच्चों को बेहतर इलाज और जीवन की आशा मिलती है कार्यक्रम के अंत में डॉ. योगेंद्र यादव ने नागरिकों से अपील की कि मध्य प्रदेश में बाल कैंसर से संबंधित किसी भी जानकारी या मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 8370001226 पर संपर्क करें।
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