
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: ब्लैक फंगस (म्यूकोरमायकोसिस) एक बीमारी थी, जिसने शरीर को क्षति पहुंचाई। लेकिन इसका सबसे गहरा घाव रूह पर लगा था। ऊपरी जबड़ा खो चुके लोग घर की चारदीवारी में सिमट गए थे, उनकी हंसी थम गई थी और दुनिया से उनका संवाद टूट गया था। वे अपने ही परिवार के सदस्यों की शादियों में नहीं जाते थे, शर्मिंदगी के कारण चेहरा हमेशा मास्क या दुपट्टे से ढका रहता था। उनकी जिंदगी केवल खाना, बोलना और दिखना नहीं, बल्कि समाज में होना बंद हो गया था।
लेकिन अब एम्स भोपाल के डाक्टरों की टीम ने न केवल उनका इलाज किया है, बल्कि उनके दिल में एक बार फिर जीने की लौ जलाई है। 52 मरीजों की यह कहानी अब कोरिया के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल ''आर्काइव्स आफ क्रेनियोफेशियल सर्जरी'' में प्रकाशित हुई है। चिड़चिड़ापन खत्म हुआ, आत्मविश्वास लौटा इस शोध का नेतृत्व करने वाले डा. अंशुल राय (प्रोफेसर, डेंटिस्ट्री विभाग) ने बताया कि उनका उद्देश्य केवल ''जायगोमैटिक इम्प्लांट'' लगाना नहीं था, बल्कि उन मरीजों की जीवनशैली सुधारना था, जो तनाव में जा चुके थे।
जिंदगी वापस ट्रैक पर आपरेशन के बाद ये मरीज फिर से अपने परिवार और दोस्तों के बीच सामान्य रूप से घुलमिल गए। उनका चिड़चिड़ापन खत्म हुआ और जो लोग सालों से चेहरा छिपाए घूमते थे, वे अब आत्मविश्वास के साथ मुस्कुराते हैं। वे सामान्य रूप से खा-पी रहे हैं, बोल रहे हैं और समाज में सक्रिय हो गए हैं।
बता दें कि AIIMS भोपाल ब्लैक फंगस और गंभीर मुख-विकृतियों से पीड़ित लोगों के लिए उम्मीद का वह केंद्र बन गया है, जो उन्हें अपनी खोई हुई दुनिया वापस पाने में मदद कर रहा है।
ब्लैक फंगस या म्यूकोरमायकोसिस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर फंगल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से उन लोगों में होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जैसे डायबिटीज या कोविड के बाद। यह संक्रमण नाक, आंख, साइनस और जबड़े की हड्डी को प्रभावित कर सकता है और समय पर इलाज न हो तो जानलेवा साबित हो सकता है।
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