
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। जिला उपभोक्ता आयोग ने एक अहम फैसला सुनाते हुए रेलवे को उसकी लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने ट्रेन की देरी के कारण परेशान हुए एक परिवार को 55 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह फैसला उन यात्रियों के लिए राहत लेकर आया है, जो ट्रेन देरी के कारण मानसिक, आर्थिक या सामाजिक नुकसान झेलते हैं।
क्या है मामला
कटारा हिल्स निवासी कृपाशंकर शर्मा अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ मई 2024 में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने पुरी गए थे। वापसी में उन्होंने 26 मई को पुरी-दुर्ग एक्सप्रेस से रायपुर तक यात्रा की थी और रायपुर से भोपाल के लिए बिलासपुर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस का टिकट लिया था। लेकिन पुरी-दुर्ग एक्सप्रेस सात घंटे की देरी से पहुंची, जिससे वे लिंक ट्रेन पकड़ नहीं पाए।
उनके साथ 80 और 81 वर्ष की दो बुजुर्ग महिलाएं भी थीं, जिन्हें होटल में ठहराना पड़ा और अगले दिन तत्काल टिकट लेकर वापस आना पड़ा। इस घटना से परिवार को भारी मानसिक और आर्थिक परेशानी हुई।
शिकायत दर्ज करवाई
कृपाशंकर शर्मा ने फरवरी 2025 में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, पूर्वी तटीय रेलवे भुवनेश्वर के महाप्रबंधक, खुर्दारोड डीआरएम और रायपुर मंडल रेल प्रबंधक के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। सुनवाई के दौरान रेलवे ने कोई जवाब नहीं दिया।
आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य डॉ. प्रतिभा पांडेय ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए एकतरफा फैसला सुनाया। आयोग ने रेलवे को आदेश दिया कि वह दो महीने के भीतर उपभोक्ता को 50 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और 5 हजार रुपये वाद व्यय के रूप में अदा करे।