नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। भोपाल की एक महिला के आइसीआइसीआइ बैंक खाते से साइबर ठग ने फोन पे के जरिये दो बार में कुल 82,500 रुपये निकाल लिए। महिला को इसका पता तब चला जब उन्होंने बैलेंस चेक किया। उन्होंने तीन दिन के भीतर बैंक और साइबर क्राइम दोनों जगह शिकायत दर्ज की। इसके बावजूद राशि वापस नहीं हुई तो उन्होंने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। यहां बैंक ने रकम कटने के लिए उपभोक्ता को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन आयोग के सामने यह साबित नहीं कर सका।
बैंक ने यह दलील भी दी कि आरबीआइ के अनुसार तीन दिन के भीतर शिकायत पर राशि लौटाने का नियम है और इस केस में शिकायत समय पर नहीं हुई। लेकिन आयोग ने पाया कि उपभोक्ता ने तीन दिन के भीतर बैंक और पुलिस दोनों को सूचना दी थी। साथ ही उन्हें किसी अन्य खाते में ट्रांसफर संबंधी कोई संदेश या ओटीपी भी नहीं मिला था।
आयोग ने ग्राहक की धनराशि की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक को मानते हुए रकम लौटाने का आदेश दिया। इसके अलावा 15 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद व्यय के तौर पर देने का भी निर्देश दिया।
यह था मामला
नारियलखेड़ा निवासी रक्षा ताम्रकार ने आइसीआइसीआइ बैंक लिमिटेड और फोन पे प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। उनका आरोप था कि उनके मोबाइल नंबर से जुड़े फोन पे एप के जरिये किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके खाते से 75 हजार रुपये और 10 दिन बाद 7,500 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर लिए। महिला ने साइबर क्राइम और बैंक दोनों जगह शिकायत की, लेकिन राशि वापस नहीं हुई।
बैंक का तर्क खारिज
बैंक का कहना था कि यदि तीन दिन में शिकायत की जाती है तो रकम वापस दी जा सकती है। लेकिन आयोग ने माना कि महिला ने समय पर सूचना दी थी और बावजूद इसके बैंक ने सेवा में कमी की। इस आधार पर आयोग ने 75 हजार रुपये की रकम के साथ 15 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति लौटाने का आदेश दिया।