नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने गैंगस्टर यासीन अहमद उर्फ मछली के पारिवारिक सदस्यों के बैंक खाते डीफ्रीज करने के निर्देश दिए हैं। यह जिम्मेदारी कलेक्टर भोपाल व डीसीपी क्राइम को सौंपी गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से आरोपित के परिवार के सदस्यों को निशाना बनाते हुए मकान तोड़ने की कार्रवाई व बैंक खाते फ्रीज किए जाने को चुनौती दी गई थी।
मामले में कोर्ट के पूर्व निर्देश पर कलेक्टर व डीसीपी क्राइम ने व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर स्वीकार किया था कि याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध कोई अपराध दर्ज नहीं हुआ है। इस जानकारी को अभिलेख पर लेने के बाद कोर्ट ने बैंक खाते डीफ्रीज करने का राहतकारी आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता आरबीआइ के दिशा-निर्देशानुसार बैंक खातों से रकम निकाल सकेंगे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि उनके अलावा अन्य लोगों ने भी सरकारी भूमि पर निर्माण किया है और वर्षों से निवासरत हैं। जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा सिर्फ उनकी संपत्तियों को ध्वस्त किया गया है। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है। इसके बावजूद भी बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं और शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। ईमेल आइडी ब्लाक कर दी गई है, जिसके कारण वह कोई भी व्यावसायिक गतिविधि करने की स्थिति में नहीं हैं।
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नियमानुसार संदिग्ध लेनदेन पर खातों को फ्रीज करने का प्रावधान है। जिस संदिग्ध लेनदेन के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है, उस पर नियमानुसार टीडीएस का भुगतान किया गया है। उक्त याचिकाकर्ता पार्टनर था, इसलिए उसके खाते में लेनदेन हुआ है। याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के बैंक खाते डीफ्रीज करने के आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस जांच में याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध आपत्तिजनक सामग्री मिलती है तो विधि अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे।