राज्य ब्यूरो नईदुनिया, भोपाल। जहरीला कफ सीरप पीने से सोमवार देर रात से मंगलवार के बीच मध्य प्रदेश के तीन और बच्चों की मौत हो गई। सोमवार रात तामिया ब्लॉक के भरियाढना की रहने वाली ढाई साल की मासूम धानी डेहरिया की मौत के बाद मंगलवार को छिंदवाड़ा के दो वर्षीय जायुषा यदुवंशी और तीन वर्षीय वेदांत पवार ने दम तोड़ दिया।
इन तीनों का नागपुर के अस्पतालों में उपचार चल रहा था। इसके साथ ही प्रदेश में किडनी संक्रमण से ग्रस्त मृत बच्चों का आंकड़ा 19 पर पहुंच गया है। हालांकि, परासिया निवासी चार वर्षीय प्रतीक पवार स्वस्थ होकर घर लौट आया। वहीं, बच्चों को सीरप लिखने के आरोपित डॉ. प्रवीण सोनी को सिविल कोर्ट परासिया ने नौ अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
उधर, मध्य प्रदेश की राज्य औषधि लैब की जांच में गुजरात में 'रिलीफ' कफ सीरप बनाने वाली कंपनी शेप फार्मा प्राइवेट लिमिटेड शेखपुर और 'रेस्पीफ्रेश-टीआर' कफ सीरप बनाने वाली कंपनी रेडनोनेक्स, अहमदाबाद के उत्पादन पर वहां के औषधि प्रशासन विभाग ने रोक लगा दी है। रिलीफ में जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लायकाल (डीईजी) 0.616 प्रतिशत और रेस्पीफ्रेश-टीआर में 1.342 प्रतिशत मिला था, जबकि इसकी मात्रा 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। दूसरी ओर, औषधि प्रशासन की टीमों ने मंगलवार को प्रदेश भर में अभियान चलाकर अमानक मिले तीनों ब्रांड के कफ सिरप जब्त किए हैं और सैंपलिंग भी की गई।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि बीमार बच्चों के उपचार का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों के नौ बच्चों का नागपुर के अस्पतालों में उपचार चल रहा है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर बच्चों की मौत की जांच और समुचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कोल्ड्रिफ कफ सीरप बनाने वाली तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रीसन कंपनी में मध्य प्रदेश के विशेष जांच दल ने पहुंचकर जांच प्रारंभ कर दी है। कंपनी का डायरेक्टर रंगनाथन फरार बताया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कोल्ड्रिफ में 48.6 प्रतिशत डीईजी मिला था। बता दें कि इससे पूर्व तमिल नाडु सरकार की ओर से कराई गई जांच में भी श्रीसन कंपनी में ढेरों अनियमितताएं मिली थीं। गुणवत्ता जांच के लिए सीरप के सैंपल खुले में लिए जाते थे। कफ सीरप सहित अन्य उत्पाद कारिडोर में रखे हुए थे, जहां पर्याप्त सफाई नहीं थी।
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बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने तमिलनाडु सरकार से कहा तो वहां के औषधि नियंत्रण विभाग ने जांच की। एक-दो अक्टूबर को की गई जांच में 39 गंभीर और 325 बड़ी खामियां कंपनी में मिलीं। इसके बाद सभी ब्रांड के उत्पादन पर रोक लगाई गई।