
विकास वर्मा, भोपाल। ट्रेनों में स्लीपर और जरनल कोच कम होने के कारण ज्यादा भीड़ होने लगी है। स्थिति यह हो गई है कि जरनल कोच में 150 से अधिक यात्री यात्रा कर रहे है। थर्ड एसी इकोनामी बढाने से फायदा नहीं मिल रहा है। साथ ही किराया में भी दो गुना अंतर आ रहा है। इसके चलते स्पेशल ट्रेनें चलाने के बाद भी कई स्थानों के लिए औसतन 100 से ज्यादा वेटिंग स्लीपर श्रेणी में ही मिल रही है। वहीं, एसी-तीन श्रेणी में भी 35 से 60 के बीच औसत वेटिंग बनी हुई है। सबसे ज्यादा वेटिंग के मुंबई, पुणे, गोरखपुर जैसे स्थानों के लिए है। वहीं, स्पेशल ट्रेनों की स्थिति भी ज्यादा अच्छी नजर नहीं आ रही है। उनमें भी औसतन 50 से ज्यादा वेटिंग दोनों ही श्रेणियों में है।
यात्रियों को हो रही परेशानी
भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और रीवा के बीच चलने वाली रीवांचल एक्सप्रेस में पहले स्लीपर के 12 कोच होते थे। लेकिन इनमें से छह कोच को हटा दिया गया है। इनकी जगह ट्रेन के एसी कोच लगा दिए गए हैं। अब सिर्फ छह स्लीपर कोच बचे हुए हैं। इसी तरह भोपाल से दिल्ली जाने वाली भोपाल एक्सप्रेस में भी पहले 12 स्लीपर कोच होते थे, अब इस ट्रेन में भी छह स्लीपर कोच लगाए जा रहे हैं। ट्रेनों में भीड़ बढ़ने का यह भी कारण है।
किस ट्रेन में कब तक क्लियर टिकट नहीं
भोपाल-मुंबई
पुष्पक एक्सप्रेस : 24 जून तक वेटिंग
कामायनी एक्सप्रेस : 5 जुलाई तक वेटिंग
अमृतसर एक्सप्रेस : 30 जून तक वेटिंग
पंजाबमेल : 17 जुलाई तक वेटिंग
मंगला एक्सप्रेस : 3 जुलाई तक वेटिंग
भोपाल-गोरखपुर
पनवेल-गोरखपुर एक्सप्रेस : 10 जुलाई तक वेटिंग
कुशीनगर एक्सप्रेस : 15 जुलाई तक वेटिंग
एलटीटी-गोरखपुर सुपर फास्ट - 16 जुलाई तक वेटिंग
भोपाल-पुणे
झेलम एक्सप्रेस - एक जुलाई तक वेटिंग
गोवा एक्सप्रेस - 25 जुलाई तक वेटिंग
भोपाल-रायपुर
छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस : 17 जून तक वेटिंग
अमरकंटक एक्सप्रेस : 23 जून तक वेटिंग
इनका कहना है
- स्लीपर कोच कम होने के कारण बचे हुए कोच में बहुत ज्यादा भीड़ हो जाती है। हालात जनरल डिब्बे जैसे हो रहे हैं। क्योंकि जिन लोगों का टिकट वेटिंग में था, कंफर्म न होने के कारण ऐसे सभी यात्री कोच में मौजूद रहते हैं।
संदीप मालवीय, यात्री
- पहले स्लीपर कोच में टिकट आसानी से मिल जाती थी, लेकिन कोच को कम करने के बाद से स्लीपर में ज्यादातर वेटिंग ही रहती है। जिसके कारण सफर करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, साथ ही एक-एक महीने की वेटिंग का इंतजार करना पड़ता है।
नम्रता नागर, यात्री
थर्ड एसी इकोनामी में किराया स्लीपर से दो गुना है, इससे यात्री की जेब पर काफी असर पड़ रहा है। अब टिकट कन्फर्म होने के बाद भी भीड़ के कारण पूरी सीट नहीं मिल पा रही हैं।
विकास नागर, यात्री