सुशील पांडेय, भोपाल। श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के नवनिर्मित राममंदिर में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। इसके भव्य आयोजन में देश-विदेश से बड़ी संख्या में रामभक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं। इस दौरान कचरा प्रबंधन भी किसी चुनौती से कम नहीं है और इससे निपटने का काम मिला है भोपाल के स्टार्टअप 'द कबाड़ीवाला' को।
'द कबाड़ीवाला' ने पहली बार मंदिर की चारों ओर दो किलोमीटर के क्षेत्र को प्लास्टिक रेगुलेटेड जोन बनाया है। इसके अंतर्गत डीआरएफ (डिपोजिट रिफंड सिस्टम) की व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत प्लास्टिक के किसी पैकेट या बोतलबंद सामग्री के उपयोग के बाद रिफंड की व्यवस्था की गई है। बता दें कि 'द कबाड़ीवाला' पिछले डेढ़ साल से अयोध्या नगर निगम के साथ जुड़ा है और घरों, वाणिज्यिक व औद्योगिक प्रतिष्ठानों से सूखे और गीले कचरे से कबाड़ निकालने और रिसाइकलिंग का काम कर रहा है।
कबाड़ीवाला के संस्थापक अनुराग असाटी ने बताया कि किसी शहर में नियमित रूप से उत्पन्न होने वाले कचरे का प्रबंधन करना एक बात है और जब आगंतुकों की संख्या उस जगह की कुल आबादी से कई गुना अधिक हो तो ऐसा करना अलग बात है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान और उसके बाद कचरे का प्रबंधन करना निश्चित रूप से एक बड़ा काम होगा।
नगर निगम के साथ 'द कबाड़ीवाला' अयोध्या में एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज) चला रहा है, जहां 15 कर्मचारी कचरे को वर्गीकृत करते हैं और कबाड़ का सामान निकालने के बाद रिसाइकिल किया जाता है। लाखों श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में लोग सूखे और गीले कचरे का निष्पादन अलग-अलग और सही जगह करें, इसीलिए नई व्यवस्था बनाई गई है।
द कबाड़ीवाला ने अयोध्या में स्कूल और कालेजों में एक आइईसी (सूचना, शिक्षा, संचार) अभियान भी चलाया है। इसके अतिरिक्त शहर में बिकने वाली प्लास्टिक और बोतलबंद सामग्री में बार कोड लगाए गए हैं। प्लास्टिक रेगुलेटेड जोन में 20 से अधिक रिफंड सेंटर बनाए गए हैं। बार कोड लगे हर उत्पाद की बिक्री में पांच रुपये अधिक लिए जाएंगे। उत्पाद का उपयोग करने के बाद जब लोग रिफंड सेंटर पर प्लास्टिक या बोतल देंगे तो उन्हें अतिरिक्त पांच रुपये का भु्गतान कर दिया जाएगा। इस प्रकार लोग कचरा इधर-उधर नहीं फेकेंगे। लोगों से अपील की जा रही है कि वे बार कोड लगे प्रोडक्ट ही खरीदें।
वर्ष 2014 में स्थापित द कबाड़ीवाला इस वक्त मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में नगर निकायों के लिए अपशिष्ट प्रबंधन में कार्यरत है। यह एमआरएफ चलाता है, जहां सूखे कचरे से उन चीजों को अलग किया जाता है, जिनका पुन: उपयोग या पुनर्चक्रण किया जा सकता है। बाद में इसका उपयोग खाद बनाने के लिए किया जा सकता है। इसका उद्देश्य लैंडफिल में जाने वाले कचरे को कम करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात के 97वें एपिसोड में कबाड़ीवाला के काम की सराहना की थी।