नईदुनिया, भोपाल (District presidents of BJP in Madhya Pradesh)। मध्य प्रदेश में जिलाध्यक्षों के चयन का राजनीतिक समीकरण बिगाड़ने के पीछे भाजपा के दिग्गज नेता तो हैं हीं, कांग्रेस से आए नेताओं के कारण भी यह चुनाव प्रभावित हुआ है। ग्वालियर-चंबल में जिलाध्यक्ष के चयन में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का हस्तक्षेप रहा है, तो सागर में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पारुल साहू की वजह से राजनीतिक समीकरण बिगड़े हैं।
इंदौर में मंत्री तुलसी सिलावट और संजय शुक्ला का दबाव रहा, तो गुना, नीमच, मंदसौर भी यही हाल है। यहां यह सभी नेता कांग्रेस से भाजपा में आए हैं, जिन्हें मूल भाजपाई आज भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में मूल भाजपाई और आयातित नेताओं के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
(सीएम मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा)
दो जनवरी से लगातार जिलाध्यक्षों के नामों पर मंथन किया जा रहा है। पार्टी प्रदेश के 60 संगठनात्मक जिलों में से 35 से 40 जिलों के अध्यक्षों के नामों पांच जनवरी को घोषित करने वाली थी, लेकिन छह जनवरी को पुन: सूची पर विचार-विमर्श किया गया।
मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विष्णुदत्त शर्मा, हितानंद ने दो घंटे तक मंथन किया था और पार्टी पदाधिकारियों द्वारा मंगलवार तक सूची जारी करने की बात कही जा रही थी। इन पांच दिनों में प्रदेश नेतृत्व ने बैठक कर सामाजिक और राजनीतिक समीकरण बैठाते हुए सूची तैयार की। लेकिन कुछ नामों पर सहमति नहीं बनने से यह जारी नहीं हो सकी।
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