
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। ब्राह्मण बेटियों को लेकर असभ्य टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश के आइएएस अधिकारी संतोष वर्मा के मामले में केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है। दरअसल, भाजपा सांसदों ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से भेंटकर मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। माना जा रहा है कि अब इस मामले में केंद्र सरकार राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी जा सकती है। कार्रवाई की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के सत्ता पक्ष और विपक्ष के ब्राह्मण विधायकों के साथ कर्मचारी संगठन भी एकजुट है।
मुख्यमंत्री से भेंट करके उन्होंने भी कार्रवाई की मांग है। आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ अजाक्स के अध्यक्ष भी हैं। इसके ही प्रांतीय अधिवेशन में उन्होंने आरक्षण बरकरार रखने के पक्ष में ब्राह्मण बेटियों को लेकर असभ्य टिप्पणी की। कई सामाजिक और कर्मचारी संगठनों ने इसे सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने वाला बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
भाजपा के सांसदों ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से दो बार भेंटकर के वर्मा की पदोन्नति की जांच कराने के साथ ही एक समाज विशेष की बेटियों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी को सिविल सेवा आचरण नियम के विपरीत बताते हुए निलंबन के साथ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देशित करने की मांग की। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले से राज्य सरकार से जवाब मांग सकती है।
इसकी तैयारी भी शासन ने अपने स्तर पर प्रारंभ कर दी है। संतोष वर्मा के जवाब का सामान्य प्रशासन विभाग परीक्षण करवा रहा है। वहीं, उनकी पदोन्नति को लेकर भी फाइल तैयार की जा रही है। वहीं, रविवार को उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व राज्य सभा सदस्य रघुनंदन शर्मा और सांसद आलोक शर्मा ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से भेंट की थी। इस दौरान उन्हें वर्मा की पदोन्नति से जुड़े दस्तावेज भी दिए गए।
इसके साथ ही यह भी बताया कि उनके ऊपर न्यायाधीश के जाली हस्ताक्षर करने का मामला भी है। संबंधित न्यायाधीश को हाल ही में अग्रिम जमानत मिली है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की जाए। उधर, कर्मचारी और ब्राह्मण संगठन भी आंदोलन को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि सभी का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई आवश्यक है ताकि संदेश जाए कि बेटियां किसी की भी हों, इस तरह की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी स्वीकार नहीं होगी।