राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 84 वर्ष बाद संघ शिक्षा वर्ग के नाम में बदलाव किया है। इसी सत्र से संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष को कार्यकर्ता विकास वर्ग एक और तृतीय वर्ष को कार्यकर्ता विकास वर्ग दो कहा जाएगा। प्रथम वर्ष को केवल संघ शिक्षा वर्ग कहा जाएगा। दरअसल, संघ समय-समय पर स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए जो आयोजन करता है, उसे वर्ग कहा जाता है।
संघ के संस्थापक प्रथम सरसंघचालक डा. केशव बलिराम हेडगेवार के समय से कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए संघ शिक्षा वर्ग आयोजित करने की परंपरा शुरू हुई। 1940 में नागपुर में पहली बार संघ शिक्षा वर्ग के आयोजन की शुरुआत हुई थी, जिसमें पहली बार संपूर्ण भारत से स्वयंसेवक प्रशिक्षण हेतु शामिल हुए थे। इससे पहले संघ में प्रशिक्षण को ओटीसी यानी ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप कहा जाता था, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान तत्कालीन सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शिक्षा वर्ग के नाम में बदलाव के अलावा पाठ्यक्रमों में भी बदलाव किया है। पहला अवसर है जब संघ ने प्रशिक्षण पाने के लिए स्वयंसेवकों के चयन में गुणवत्ता का भी ध्यान रखा है। मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ क्षेत्र में प्रचारकों ने स्वयंसेवक की संघ और संघकार्य के प्रति निष्ठा देखकर ही वर्ग में शामिल करने की अनुमति दी है। अब तक प्रथम वर्ष में जो भी स्वयंसेवक जाना चाहता था, उन सभी को अनुमति मिल जाती थी। देशभर के स्वयंसेवकों को तृतीय वर्ष यानी कार्यकर्ता विकास वर्ग दो के लिए केवल नागपुर में ही प्रशिक्षित किया जाता है। इस बार भी चयनित मध्य प्रदेश के स्वयंसेवक 17 मई से नागपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जो 10 जून को समाप्त होगा।