राज्य ब्यूरो, नईदुनिया. भोपाल। मध्य प्रदेश में विषाक्त कफ सिरप कोल्ड्रिफ के सेवन से गंभीर बीमार दो और बच्चों की बुधवार को मृत्यु हो गई। छह वर्षीय दिव्यांशु यदुवंशी और तीन साल के वेदांश काकोड़िया ने नागपुर में दम तोड़ दिया। अब तक कुल 21 जान गंवाने वालों में 18 बच्चे छिंदवाड़ा, दो बैतूल और एक पांढुर्णा जिले का था। सभी की उम्र आठ वर्ष से कम है। कोल्ड्रिफ में जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लायकाल (डीईजी) मानक से 486 गुना अधिक (0.1 प्रतिशत से कम की जगह 48.6 प्रतिशत) मिलाने वाली तमिलनाडु के कांचीपुरम की श्रीसन फार्मास्यूटिकल का डायरेक्टर जी रंगनाथन फरार है।
MP में कांग्रेस का आरोप- जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत के लिए सरकार की लापरवाही जिम्मेदार
उसकी गिरफ्तारी के लिए मध्य प्रदेश पुलिस की एसआईटी मंगलवार को कांचीपुरम पहुंची। एसआईटी ने बुधवार को जी. रंगनाथन की तलाश में छापेमारी की। एसआईटी ने औषधि प्रशासन व अन्य संबंधित विभागों में दिनभर पूछताछ की और दस्तावेज खंगाले। टीम ने तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से फैक्ट्री में कर्मचारियों से पूछताछ की और कार्यालय व अन्य जगहों पर भी दबिश दी। एसआईटी कंपनी का पूरा चिट्ठा निकाल रही है। कंपनी कब से संचालित हो रही थी। कितनी बार नाम बदला। मध्य प्रदेश को कहां-कितना कफ सिरफ भेजा गया, इसकी जांच की जा रही है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर एफआईआर में धाराएं बढ़ाई जा सकती हैं।
बता दें, पांच अक्टूबर को छिंदवाड़ा में कंपनी के संचालक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है। पूरे मामले में मध्य प्रदेश औषधि प्रशासन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। 26 सितंबर तक आठ बच्चों की जान जा चुकी थी, इसके बाद भी संदिग्ध कफ सिरप के सैंपल हाथोंहाथ भेजने की जगह परंपरागत स्पीड पोस्ट से भोपाल भेजे गए। इन्हें 283 किमी दूर भोपाल पहुंचने में तीन दिन लग गए, जबकि इन्हें छह से आठ घंटे में पहुंचाया जा सकता था। उधर, छह बच्चों की मौत होने तक सरकारी तंत्र सोया रहा।
यह माना जाता रहा कि किसी बीमारी से बच्चों की किडनी खराब हो रही है। नागपुर में बीमार बच्चों की किडनी की बायोप्सी में डीईजी मिलने के बाद तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने सिर्फ छिंदवाड़ा में 29 सितंबर को कोल्ड्रिफ पर प्रतिबंध लगाया। इसके पहले औषधि निरीक्षकों ने कफ सिरप के सैंपल तक नहीं लिए। चार सितंबर को पहले बच्चे की मौत के एक माह बाद छह अक्टूबर को ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटाया गया। डिप्टी ड्रग कंट्रोलर और दो ड्रग इंस्पेक्टरों को निलंबित किया गया।
स्वास्थ्य विभाग देख रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल पहली बार उपचार करा रहे बच्चों का हालचाल जानने मंगलवार शाम नागपुर पहुंचे। इसके बाद बुधवार को छिंदवाड़ा पहुंचे। उन्होंने बताया कि पांच बच्चों का उपचार चल रहा है। छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के सिविल सर्जन नरेश गुनाडे को पद से हटा दिया है। सुशील दुबे को नया सिविल सर्जन नियुक्त किया गया है।
मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी औषधि प्रशासन विभाग की इस मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है। केंद्रीय औषधि मानक एवं नियंत्रण संगठन की वर्ष 2023 की गाइडलाइन में स्पष्ट लिखा है कि चार वर्ष से छोटे बच्चों को कफ सिरप नहीं देने संबंधी चेतावनी बोतल के लेबल पर छपी होनी चाहिए, पर इसका पालन कोई राज्य नहीं कर पाया। मध्य प्रदेश में 'कोल्ड्रिफ' के अमानक बैच की 660 बोतल की आपूर्ति की गई थीं, पर किसी में यह चेतावनी नहीं थी। इनमें 14 बोतल अभी भी औषधि प्रशासन विभाग नहीं खोज पाया है। बाकी दुकानों से जब्त कर ली गई है।