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भोपाल रैंप हादसाः
- रेलवे के जानकारों ने उठाए जांच कमेटी पर सवाल
- पूर्व सदस्यों ने कहा- जिन्हें देखरेख करनी थी, उन्होंने ही अनदेखी की
- अब जांच भी उन्हीं से करवा रहे, ऐसा नहीं चलेगा
भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि
भोपाल स्टेशन पर हुए रैंप हादसे के तीसरे दिन शनिवार शाम तक रेलवे की तरफ से कोई जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है। दूसरी तरफ रेलवे के जानकारों व मंडल रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति के पूर्व सदस्यों ने जांच कमेटी पर ही आपत्ति ली है। सदस्यों ने रेलमंत्री पीयूष गोयल से हस्तक्षेप करने और हादसे की जांच रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ से कराने की मांग भी है। दूसरी तरफ रेलवे ने भोपाल स्टेशन पर क्षतिग्रस्त रैंप को ठीक कर लिया है। सोमवार सुबह से उसे चालू कर दिया जाएगा। हालांकि अधिकारियों ने जीएम शैलेंद्र कुमार सिंह के कहने के बाद भी नए फुट ओवर ब्रिज को चालू नहीं किया है।
रेलमंत्री व पीएमओ कार्यालय को पत्र लिखेंगे
पूर्व सदस्य निरंजन वाधवानी ने कहा है कि रेल मंत्री कार्यालय नई दिल्ली के अधिकारियों से शनिवार शाम को चर्चा की है। इसमें हादसे के बारे में बताया गया है। वहीं जांच में शामिल रेलवे के इंजीनियरों को हटाने को लेकर भी चर्चा की है। इसकी वजह भी बताई है। हालांकि रेलमंत्री से संपर्क नहीं हो पाया है। रेलमंत्री को हादसे की विस्तृत जानकारी देते हुए पत्र लिखेंगे।
पूर्व सदस्य पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि रेलवे विदेशी तकनीकी अपनाने का दावा कर रहा है। नए-नए प्रयोगों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बुलेट ट्रेन चलाने की कवायद की जा रही है। ऐसे में जिम्मेदार इंजीनियरों की वजह से हादसा होना बहुत गंभीर है, उस पर भी उन्हीं से जांच कराना यह और गंभीर बात है। इस मामले को लेकर रेलमंत्री से बातचीत करेंगे और हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि जब मैदानी अधिकारी ही जिम्मेदार है तो वरिष्ठ इंजीनियरों को रेलवे करोड़ों रुपए किस बात का दे रहा है। उन्होंने हादसे की जांच रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ से कराने की मांग की है।
जांच टीम में ये शामिल
तीन वरिष्ठ अधिकारियों की जांच कमेटी में मुख्य संरक्षा अधिकारी एपी पांडे, मुख्य ब्रिज अभियंता ओपी तंवर, सीसीएमपीएस बृजेंद्र कुमार शामिल हैं। इनमें मुख्य ब्रिज अभियंता व उनका विभाग ब्रिज की देखरेख के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। पूर्व सदस्यों का कहना है कि ऐसे इंजीनियर खुद व अपनों को बचाने के लिए मैदानी इंजीनियरों का दोष बताएंगे। यह रैंप हादसे के साथ न्याय नहीं होगा। पूर्व सदस्यों ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी होते ही इसलिए हैं कि निचले स्तर पर भूल की जा रही हो तो उन्हें वरिष्ठ अधिकारी देखें और रोके, जो कि नहीं हुआ। उक्त पद पर ओपी तंवर के पूर्व दूसरे इंजीनियर रह चुके हैं।
भोपाल की तरह, बीना-इटारसी के ब्रिजों में भी जंग
भोपाल रेल मंडल के इटारसी और बीना फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) में भी खामियां हैं। दोनों बड़े स्टेशनों पर ब्रिज और उनसे जुड़ी सीढ़ियों का कई जगह से प्लास्टर निकल गया है। लोहा जंग खा रहा है। ये कमियां हादसों को न्यौता दे रही हैं। मंडल में 96 स्टेशन हैं। इनमें से 25 फीसदी स्टेशनों पर फुट ओवर ब्रिज हैं। इस संबंध में डीआरएम उदय बोरवणकर का कहना है कि मंडल के ब्रिजों की जांच करवा रहे हैं, जिनमें कमियां मिलेगी, उन्हें तत्काल ठीक करेंगे।
नवदुनिया स्कैनः
प्रमुख स्टेशनों के फुट ओवर ब्रिजों की स्थिति
इटारसी स्टेशनः मुख्य ब्रिज व सीढ़ियों से सीमेंट का प्लास्टर निकल गया है। लोहे का हिस्सा जंग खा रहा है।
बीना स्टेशनः ब्रिज 32 साल पहले बनाया था जो कई जगह से जर्जर हो गया है।
हबीबंगज स्टेशनः प्लेटफार्म-1 पर इटारसी छोर की तरफ बनाई जा रही बिल्डिंग के आसपास से यात्री गुजर रहे हैं। ऊपर काम चल रहा है। सुरक्षा के मापदंडों का पालन कम दिखाई दे रहा है। प्लेटफार्मों पर जगह-जगह गड्ढे हैं। इन्हें नहीं भरा गया है। कई बार यात्री इनमें गिर चुके हैं। प्लेटफार्म-2 पर इटारसी छोर की तरफ गड्ढे हैं।
गुना स्टेशनः यह ब्रिज 45 साल पुराना है, सीढ़ियों व ब्रिज का निचला हिस्सा जर्जर हो गया है।
मुलताई व घोड़ाडोंगरी स्टेशनः मुलताई का ब्रिज 40 साल व घोड़ाडोंगरी का 30 साल पुराना ब्रिज है। प्लास्टर निकलने के कारण सरिया दिखने लगी हैं। ये दोनों नागपुर मंडल में आते हैं।
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जांच में क्या हुआ, यह फिलहाल नहीं बता सकते। अभी तो जांच चल रही है। जल्दी रिपोर्ट आएगी। जांच कमेटी में किसे रखना है और किसे नहीं, यह वरिष्ठ अधिकारियों ने तय किया है। पूरी जांच नहीं होने तक कुछ नहीं कह सकते।
- प्रियंका चतुर्वेदी, मुख्य प्रवक्ता, पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर जोन