
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया. भोपाल। इसी वर्ष से प्रारंभ हुए श्योपुर मेडिकल कालेज में संसाधनों की कमी से जूझ रहे तत्कालीन डीन डा. अनिल अग्रवाल ने कई बार शासन को पत्र लिखा, लेकिन समाधान नहीं हुआ। उन्होंने जब इस संबंध में शासन से मार्गदर्शन मांगा तो बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ग्वालियर शासकीय मेडिकल कालेज के सह प्राध्यापक डा. विपेन्द्र बक्तारिया को डीन का प्रभार सौंपा गया है। यह पहला मौका है जब किसी सह प्राध्यापक को डीन की जिम्मेदारी दी गई है। अग्रवाल ने अब शासन को पत्र लिखकर ग्वालियर मेडिकल कालेज में पदस्थ किए जाने की मांग की है।
श्योपुर मेडिकल कालेज को एमबीबीएस की सौ सीटों पर प्रवेश की अनुमति नेशनल मेडिकल कमीशन से मिली है। यह सीटें भर भी गईं लेकिन विद्यार्थियों के बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं है। पुस्तकालय में पुस्तक नहीं हैं। छात्रावास भी अधूरा है। पहले वर्ष पढ़ाए जाने वाले तीन विषय एनाटमी, फिजियोलाजी और बायोकेमेस्ट्री में एक-एक फैकल्टी हैं। कालेज की मान्यता के लिए गांधी मेडिकल कालेज भोपाल सहित अन्य कालेजों से फैकल्टी को स्थानांतरित किया गया था।
सिंगरौली मेडिकल कालेज के भी बुरे हाल
इसी वर्ष प्रारंभ हुए सिंगरौली मेडिकल कालेज के भी बुरे हाल हैं। कालेज और छात्रावास के लिए फर्नीचर किराये पर लिया गया है। लाइब्रेरी में किताबें नहीं हैं। एनाटमी की पढ़ाई के लिए डेड बाडी नहीं हैं। सरकार अगले दो वर्ष में आठ मेडिकल कालेज प्रारंभ करने का दावा कर रही है। कालेज खुल भी गए तो फैकल्टी, पुस्तकें और अन्य संसाधन के बिना डाक्टर कैसे तैयार होंगे। सूत्रों के अनुसार संसाधनों की कमी के चलते एमबीबीएस प्रथम वर्ष की कक्षाएं भी प्रांरभ नहीं हो पाईं। अब 25 नवंबर के बाद ही कक्षाएं प्रारंभ होने की आशा है। इस संबंध में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी बात करने को तैयार नहीं है।