नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग, नशे की तस्करी में संलिप्तता के नाम से डराकर रुपये ठगने वाले गिरोह राजधानी भोपाल में फिर से जाल बिछा चुके हैं। ताजा मामला रेलवे के एक सेवानिवृत्त अधिकारी का है। साइबर ठगों ने उन्हें फोन कर 25 लाख रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्तता के सबूत मिलने की बात से इतना डरा दिया कि बुजुर्ग ने जीवन भर में कमाए 40 लाख रुपये बैंक से निकालकर ठगों के हवाले कर दिए। ठग ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 14 दिन तक बंधक बनाए रखा।
पुलिस के अनुसार, 65 वर्षीय डेनिस किंटर अयोध्यानगर में रहते हैं। रेलवे से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और वर्तमान में चर्च में सेवा करते हैं। 22 अगस्त को उनके मोबाइल पर एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उसने कहा कि आपके दस्तावेजों के जरिए 25 लाख रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई है और ईडी में केस दर्ज किया गया है। ठग ने फोन लाइन पर ईडी के अधिकारी के रूप में एक अन्य ठग से बात भी करवाई।
दोनों ने मिलकर डेनिस किंटर को करीब तीन घंटे तक कमरे में बंद रखकर फोन पर ही पूछताछ की। उन्होंने आश्वस्त किया कि यदि आपके दस्तावेजों का गलत उपयोग हुआ है तो अपने खाते में जमा राशि की जांच करवा लीजिए। यदि उनमें कुछ गलत नहीं पाया गया तो रुपये वापस मिल जाएंगे। पुलिस और ईडी के डर से डेनिस ने जांच के नाम पर साइबर ठगों के दिए खाते में रुपये डालना शुरू कर दिया। दो सप्ताह तक यह सिलसिला चला।
जब उनके बैंक खातों में जमा पूरी राशि खत्म हो गई, तो उन्होंने साथ में रहने वाले अपने भतीजे-भतीजी से सहायता मांगी। स्वजन ने जब जोर देकर पूछताछ की तो उनके साथ चल रही ठगी का खुलासा हुआ। उसके बाद पूरा परिवार क्राइम ब्रांच की साइबर सेल पहुंचा और आधिकारिक तौर पर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मामले का एक और डरावना पहलू सामने आया है। साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डेनिस को घर के किसी कमरे में बंधक नहीं बनाया था। उन्हें कहीं आने-जाने की छूट थी, लेकिन उन्हें इतना डराया गया था कि उन्हें अपनी हर गतिविधि की सूचना मैसेज के जरिये ठगों तक पहुंचानी होती थी। दो सप्ताह तक वह बेहद मानसिक दबाव में रहे।
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस साल के नौ महीनों में अकेले भोपाल में डिजिटल अरेस्ट के लगभग 80 मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस ने आधे से भी कम मामलों में एफआइआर दर्ज की है। इनमें से कुछ मामलों में उन लोगों को पकड़ा गया है, जिनके खाते में ठगी हुई रकम ट्रांसफर हुई थी।
डिजिटल अरेस्ट के प्रति जागरूकता के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं और एडवाइजरी जारी करते हैं। पुलिस हर मामले में जांच कर रही है, जिन खातों में राशि रुकती है तो उन्हें होल्ड कर पीड़ित को पहुंचाते हैं। साथ ही इन प्रकरणों में आरोपितों की धरपकड़ की जा रही है। - शैलेंद्र सिंह चौहान, एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच
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