
राज्य ब्यूरो, भोपाल। अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। कांग्रेस इसके आमंत्रण को ठुकरा चुकी है। उधर, भाजपा आमंत्रण ठकुराने को बड़ा मुद्दा बनाकर कांग्रेस को लगातार घेर रही है। इस विवाद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का बयान सामने आया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने मंगलवार को एक्स हैंडल पर पोस्ट में लिखा है कि कांग्रेस ने कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया। केवल विवादित भूमि में निर्माण के लिए न्यायालय के फैसले तक इंतजार करने के लिए कहा था। गैर विवादित भूमि पर भूमिपूजन भी राजीव गांधी के समय हो गया था।
दिग्विजय ने लिखा कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने राम मंदिर निर्माण के लिए गैर विवादित भूमि का अधिग्रहण भी कर दिया था। लेकिन उन्हें यानी भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस को मंदिर निर्माण नहीं मस्जिद गिराना था। क्योंकि जब तक मस्जिद नहीं गिरेगी तब तक मुद्दा हिंदू मुसलमान का नहीं बनता।
दिग्विजय ने आगे लिखा, विध्वंस उनके (भाजपा के) चाल व चरित्र में है। अशांति फैला कर राजनीतिक लाभ लेना उनकी रणनीति है। इसीलिए उनका नारा था राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे। अब वहां क्यों नहीं बनाया? जब उच्चतम न्यायालय ने विवादित भूमि न्यास को दे दी थी? इसका जवाब तो केवल विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय जी या पीएम नरेन्द्र मोदी जी ही दे सकते हैं।
दिग्विजय ने आगे लिखा, मेरी सहानुभूति उन स्वयं सेवक परिवारों के साथ है जो मंदिर निर्माण आंदोलन में बलिदान हुए या वे लोग जिनके ऊपर न्यायालय में आपराधिक मुक़दमे चले। वे क्या आमंत्रित किए गए? निर्मोही अखाड़े के लोग जिन्होनें 175 वर्षों तक राम जन्म भूमि की लड़ाई लड़ी, जिन्होंने न्यायालय में लड़ाई लड़ी उन्हें क्या आमंत्रित किया? उनके पूजा का अधिकार भी छीन कर विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय के चयनित स्वयं सेवकों को दे दिया। क्या यही राजधर्म है, क्या यही रामराज है?