
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी में युवाओं के बीच नशे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। पुलिस इसे पकड़ने के लिए हर बार जाल डालती है, लेकिन उसमें सिर्फ छोटे सप्लायर ही पकड़े जाते हैं, जबकि उस धंधे के मास्टरमाइंड छुपे रह जाते हैं। भोपाल में क्राइम ब्रांच की कार्रवाई के ताजा मामलों में भी यही कहानी दोहराई गई है, जहां तस्करों की गिरफ्तारियां तो हुईं, लेकिन नेटवर्क की जड़ें जस की तस बनी रहीं। पुलिस से बचकर यही मास्टरमाइंड नए तस्कर तैयार कर लेते हैं और फिर उनके जरिए नशे का कारोबार शहर में पैर जमाए रहता है।
लंबे समय से क्राइम ब्रांच पुलिस ड्रग्स और गांजा के साथ जिन तस्करों को गिरफ्तार करती है, वे अक्सर या तो उड़ीसा, राजस्थान या फिर दिल्ली से सप्लाई होने का लिंक बताते रहे हैं। पुलिस ने समय-समय पर उनकी निशानदेही पर दबिश भी दी, लेकिन अब तक नशे का कोई बड़ा अंतरराज्यीय सिंडिकेट पकड़ने में सफलता नहीं मिल सकी है। पुलिस कार्रवाई में बार-बार सामने आते हैं सिर्फ मिडलमैन, जो पैडलर की तरह काम करते हैं। वे खुद नशे के आदी या रूपयों के लालच में फंसे लोग होते हैं। लेकिन इनके पीछे बैठे बड़े सप्लायर आसानी से नए चेहरे मैदान में उतार देते हैं।
पुलिस के शिकंजे में आते ही एक पैडलर बाहर, और तुरंत दूसरा तैयार हो जाता है। शहर के चर्चित 'मछली' कांड में ड्रग तस्करी के आरोपित यासीन ने ड्रग सप्लाई को लेकर दिल्ली और राजस्थान का नाम लिया था। उस दौरान राजस्थान के कुख्यात ड्रग डीलर टीकालाल उर्फ इमरान का नाम सामने आया था। हालांकि कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। क्राइम ब्रांच पुलिस ने एक बार फिर आगर मालवा के तस्कर किफायतउल्लाह खान को भोपाल में गांजा तस्करी करते हुए पकड़ा है।
वह भोपाल में दो अन्य तसकर अफजल और मंसूर को एमडी ड्रग बेच रहा था। किफायतउल्लाह अपने दामाद अरबाज के रूट से ड्रग तस्करी के धंधे में आया था। अरबाज का संबंध भी राजस्थान के उसी इमरान से बताया जा रहा है। ऐसे में एक बार फिर पुलिस के पास एक बड़े अंतरराज्यीय तस्कर गिरोह पर कार्रवाई का बड़ा मौका है।
आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ड्रग तस्करी के तह तक जाती है। पुख्ता सबूतों के अभाव में कई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। इस बार भी आरोपितों से तस्करी के पूरे रूट को लेकर पूछताछ की जा रही है। - अखिल पटेल, डीसीपी क्राइम ब्रांच
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