भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। कोरोनाकाल में आनलाइन कक्षा के कारण अभिभावकों को अपने बच्चों को स्मार्टफोन दिलाना पड़ा। अब बच्चों को स्मार्टफोन की ऐसी आदत पड़ गई है कि वे इससे एक पल के लिए भी दूर नहीं होना चाहते। बच्चे दिनभर दोस्तों से बात और चैटिंग कर रहे हैं। इसे देखते हुए स्कूल खुलने के बाद अभिभावक बच्चों से मोबाइल वापस लेने लगे। इससे खफा बच्चे चाइल्ड लाइन में अभिभावकों की शिकायत कर रहे हैं। इनमें 12 से 18 साल के बच्चों के मामले अधिक आ रहे हैं। बच्चे अभिभावकों के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं कि उनसे पर्सनल मोबाइल वापस लिया जा रहा है। वहीं कुछ बच्चों की शिकायत है कि अभिभावक मोबाइल रिचार्ज नहीं करा रहे हैं तो वाई-फाई का कनेक्शन भी कटवा दिया है, जिससे वे पढ़ाई ठीक से नहीं कर पा रहे हैं।

काउंसलिंग के दौरान अभिभावकों का कहना है कि बच्चे दिनभर मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं। चाइल्ड लाइन में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 359 मामले पहुंचे हैं, जिसमें बाल विवाह के 30, बाल शोषण के 29, गुमशुदा बच्चों को रेस्क्यू कर सौंपने के 79, बाल तस्करी के 21, शारीरिक शोषण के 83 सहित अन्य शामिल हैं। ऐसे में काउंसलर अभिभावक व बच्चों की काउंसलिंग कर ऐसे मामले को सुलझा रहे हैं।

अभिभावक भी कर रहे हैं शिकायत

चाइल्ड लाइन की को-आर्डिनेटर का कहना है कि अभिभावक भी बच्चों के मोबाइल उपयोग के संबंध में शिकायतें कर रहे हैं। ऐसे में चाइल्ड लाइन बच्चों को बुलाकर उन्हें चार से पांच दिन तक निगरानी में रखकर मोबाइल की लत छुड़वा रहे हैं। बच्चों को रचनात्मक कार्यों में लगाया जा रहा है। उनसे गेम, पेंटिंग, कहानी लेखन, पौधों की देखभाल आदि कार्य कराए जा रहे हैं।

केस-1

16 वर्षीय बालिका से उसके पिता ने मोबाइल वापस मांग लिया तो वह गुस्सा होकर घर छोड़कर चली गई। पिता जब चाइल्ड लाइन में बेटी को लेने आया तो उसने कहा कि उसे दिनभर घर में पढ़ने के लिए कहा जाता है। जब से स्कूल शुरू हुआ, उसके पापा ने मोबाइल वापस ले लिया। पिता का कहना है कि बेटी मोबाइल पर दिनभर दोस्तों से चैटिंग करती है और उसकी बोर्ड परीक्षा होने वाली है। इस कारण बेटी से मोबाइल वापस ले लिया। बालिका की काउंसलिंग कर घर भेजा गया।

केस-2

17 वर्षीय बालक 12वीं में पढ़ाई करता है। मम्मी के डांटने पर उसने चाइल्ड लाइन में फोन कर शिकायत की है कि उसकी मम्मी आफिस जाती हैं तो उसका मोबाइल साथ में ले जाती हैं। मैं पढ़ाई नहीं कर पा रहा हूं। काउंसलिंग के दौरान मां का कहना था कि बेटा दिनभर गेम खेलता है। किशोर की काउंसलिंग कर समझाया गया।

केस-3

15 वर्षीय बालक ने शिकायत की है कि जब आनलाइन कक्षा लगती थी तो पापा ने वाई-फाई लगवाया। स्कूल खुलने के बाद पापा वाई-फाई रिचार्ज नहीं करा रहे हैं। काउंसलिंग के दौरान पिता ने कहा कि स्कूल से घर आने के बाद दिनभर बेटा लैपटाप और मोबाइल पर गेम खेलता है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। इस कारण ऐसा किया।

मोबाइल से संबंधित काफी मामले आ रहे हैं। कुछ दिन तक अभिभावकों से बच्चों को बुलाकर उन्हें रचनात्मक कार्यों में लगाते हैं, जिससे वे मोबाइल से दूर हो सके। उन्हें समय-सारिणी के साथ कार्य कराते हैं। साथ ही अभिभावकों की भी काउंसलिंग की जाती है।

- राशि आसवानी, को-आर्डिनेटर, चाइल्ड लाइन

चाइल्ड लाइन में बच्चे भी अभिभावकों के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं। ऐसे मामलों में काउंसलिंग कर उन्हें समझाया जाता है।

- अर्चना सहाय, डायरेक्टर, चाइल्ड लाइन

बच्चों में तकनीक के उपयोग को हम रोक नहीं सकते हैं। बच्चे पर शुरू से ध्यान देना होगा कि वे स्मार्टफोन का गलत उपयोग तो नहीं कर रहे हैं। बच्चों को समझाएं, जिससे उन्हें गलत-सही का पता चल सके।

- डा. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक

अभिभावक क्या करें

- बच्चों को अचानक मोबाइल देना बंद नहीं करें।

- समय का पाबंद बनाएं।

- बच्चों पर नजर रखें।

- बच्चों के साथ आउटडोर गेम खेलें।

Posted By: Ravindra Soni

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