हर गली कुछ कहती है - भोपाल में आज के लखेरापुरा रोड का नाम हुआ करता था कभी खानकाह गली
पीर गेट यहां रहने वाले पीर खानदान के नाम से ही था। यहीं से शुरू होती है खानकाह गली जो जुमेराती चौक में स्थित जामा मस्जिद तक जाती है। यहां मुख्य सड़क पर बनी पहली इमारत यासीन महल है, जो आज भी नवाबी शासन की याद दिलाता है। नवाब यासीन मोहम्मद खां का यह महल अब जर्जर अवस्था में है।
Publish Date: Fri, 25 Jul 2025 04:23:58 PM (IST)
Updated Date: Fri, 25 Jul 2025 05:41:39 PM (IST)
भोपाल शहर का इतिहास।HighLights
- पीर गेट का नाम यहां रहने वाले पीर खानदान के नाम से ही था।
- यहीं से शुरू होती है खानकाह गली जो जुमेराती चौक तक है।
- यहां यासीन महल है, जो आज भी नवाबी दौर की याद दिलाता है ।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। नाम बदलने को लेकर शहर में सियासत गर्म है, लेकिन नाम बदलने से इतिहास नहीं बदलता जैसा कि जुमेराती का लखेरापूरा जो भोपाल का सबसे पुराना और सबसे व्यस्त बाजार है। यहां वाहन तो छोड़िये बाजार के समय पैदल चलना भी मुश्किल है। यहां हर जरूरत का हर सामान मिलता है, खास करके कपड़े और जेवरात और महिलाओं के श्रृंगार की सामग्री शादी या त्योहार की खरीदारी लोग यहीं से करना उचित समझते हैं। ईद और आखातीज पर यहां देर तक बाजार खुला रहता है। इसी लखेरापुरा रोड का पुराना नाम खानकाह गली हुआ करता था।
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- पीर गेट यहां रहने वाले पीर खानदान के नाम से ही था। यहीं से शुरू होती है खानकाह गली जो जुमेराती चौक में स्थित जामा मस्जिद तक जाती है।
- यहां मुख्य सड़क पर बनी पहली इमारत यासीन महल है, जो आज भी नवाबी शासन की याद दिलाता है। नवाब यासीन मोहम्मद खां का यह महल अब जर्जर अवस्था में है।
- यहीं खानकाह मुजद्दी आती है जो शहर के बड़े बुर्जुग पीर अबू अहमद साहब, पीर हजरत नन्हे मियां साहब की है।
- इतिहास के जानकार एसएम हुसैन बताते हैं कि यहां सभी नवाब और बेगम का आना आखिरी नवाब हमीदुल्ला खां तक बना रहा। आज भी पीर खानदान के वारिस समाज सेवा में लीन हैं।
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- इसी गली में भोपाल के मशहूर पहलवान नजी का अखाड़ा हुआ करता था।
- एक किस्सा इस गली का पुराने लोगों में बहुत चर्चित है कि एक बार मशहूर गामा पहलवान पहली बार भोपाल आए तो यहीं आए थे।
- उन्होंने पहलवान नजीर से अपने साथ कुछ दांव दिखाने को कहा पहले तो नजीर ने मना कर दिया।
- फिर कुश्ती खेलने को तैयार हुए और एक दाव लगाकर गामा पहलवान को चित कर दिया।
- गामा तुरंत खड़े हुए और नजीर को पकड़ा तो उन्होंने उनसे माफी मांगते हुए कहा।
- अब लड़ा तो आप मेरा भेजा निकाल दोगे। खानकाह गली इस तरह की यादों में ही शेष है।