
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। कैंसर के उपचार के लिए प्रदेश के चार बड़े मेडिकल कॉलेजों में लीनियर एकसीलेरेटर (लीनैक) मशीनें लगाई जाएंगी। मशीन खरीदी के आदेश जारी कर दिए हैं। तीन से चार माह में मशीनें आ जाएंगी। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर मेडिकल कालेज से संबंद्ध अस्पतालों में मशीनों के स्टालेशन के लिए बंकर बनाने का काम शुरू हो गया है। एक जगह यह सुविधा शुरू करने में 50 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
मेडिकल कॉलेजों में लीनैक मशीनें लगाने की पिछले पांच वर्ष से तैयारी चल रही थी। पहले पीपीपी से यह काम किया जाना था, पर निवेशक तैयार नहीं हुए। इसके बाद सरकार ने खुद मशीनें लगाने का फैसला किया। कैंसर रोगियों के साथ रेडियोथेरेपी में एमडी करने वाले डाॅक्टरों को भी इससे लाभ मिलेगा।
रीवा और सागर सहित चार जगह ब्रैकी थेरेपी की सुविधा निजी अस्पतालों में लीनैक से सिंकाई कराने पर एक बार का खर्च लगभग 15 हजार रुपये आता है। पूरे साइकिल में डेढ़ लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं। इसी तरह से कुछ तरह के कैंसर में समीप से सिंकाई की आवश्यकता होती है, जिसके लिए भोपाल, इंदौर, रीवा और सागर में ब्रैकी थेरेपी की सुविधा शुरू की जाएगी।
मशीनें खरीदने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा एवं सागर मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में सरकार खुद सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें लगाने जा रही हैं। अभी यह सुविधा पीपीपी से दी जा रही है, जिससे बाजार दर करीब 60 प्रतिशत में जांच हो पा रही है। सरकारी मशीनें होने पर शुल्क और कम हो जाएगी।