
मदन मोहन मालवीय, नईदुनिया भोपाल। शहर पर बढ़ता शोर अब सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। विवाह-सीजन, धार्मिक शोभायात्राओं और जुलूसों में हाई-वाल्यूम डीजे के उपयोग ने कई इलाकों में ध्वनि प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुँचा दिया है। शोर नियंत्रण के नियम साफ तौर पर कहते हैं कि रात 10 बजे के बाद किसी भी तरह का तेज़ संगीत नहीं बज सकता। सामान्य क्षेत्रों में आवाज़ 55 डेसिबल से ऊपर नहीं होनी चाहिए।
इन इलाकों में खतरनाक साउंड
लेकिन राजधानी की जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट तस्वीर पेश करती है। लालघाटी, हलालपुर, वीआइपी रोड, रातीबड़ रोड, नर्मदापुरम रोड, अयोध्या बायपास, भोपाल–इंदौर रोड, भोपाल बायपास, बैरसिया रोड, लांबाखेड़ा, रायसेन रोड से लगे इलाकों के रहवासी रात को ढंग से सो नहीं पा रहे हैं। इन इलाकों में देर रात 90 से 110 डेसिबल तक का शोर दर्ज हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह स्थिति ‘स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक’ श्रेणी में आती है।
बारात में लगे 12–14 स्पीकर्स और सबवूफर का संयोजन एक मिनी-स्टेडियम जैसे शोर पैदा कर रहा है। खासकर मोबाइल डीजे यूनिट ट्राले पर लगाए तीन से पांच हजार वाट के सिस्टम से सबसे ज्यादा शोर पैदा हो रहा है। इनकी क्षमता नियमों की सीमा से कई गुना अधिक है। जिले में छोटे-बड़े मिलाकर करीब डेढ़ हजार डीजे हैं, जिन्हें संचालकों ने लोडिंग वाहनों पर बनवाए हैं। इनमें अत्याधिक तीव्र ध्वनि वाले बाक्स, लाइटिंग आदि लगाए गए हैं, जिनके सामने कमजोर हृदय वाले लोग खड़े नहीं हो पाते हैं।
जब से विवाह-बरात का दौर शुरू हुआ है तब से यह डीजे सारे नियमों का उल्लंघन कर बजाए जा रहे हैं। छोला क्षेत्र के रहवासी मनोज लोवंशी बताते हैं कि सबसे खराब स्थिति सड़क से गुजर रही बरातों और शोभायात्राओं के दौरान झेलना पड़ रहा है। मोडीफाइ कराए ट्रकों पर 20 फीट तक ऊंचे साउंड सिस्टम बांधकर अनियंत्रित आवाज में देर तक यह डीजे बजाया जा रहा है। उस समय उनकी आवाज से घर की दीवारें हिलने लगती हैं। बच्चों-बुजुर्गों की दिल की धड़कन बढ़ जाती है। कोई बीमार हो तो उसको कितनी तकलीफ होती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
पिछले साल जारी हुआ था प्रतिबंधात्मक आदेश
एक साल पहले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद कलेक्टर ने एक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया था। इसके मुताबिक अत्यधिक शोर वाले डीजे पर प्रतिबंध था। वहीं रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र पर संगीत बजाए जाने को प्रतिबंधित किया था। उसी दौरान पुलिस ने एक साथ 91 डीजे संचालकों पर एफआइआर तक दर्ज की थी।
ग्रामीणों ने दर्ज कराई थी शिकायत
हुजूर तहसील की ग्राम पंचायत अरवलिया, परवलिया सानी के ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई थी कि मुख्य रोड पर मैरिज गार्डन खुल गए हैं। यहां होने वाले विवाह आयोजन, बरातों में तेज आवाज में रातभर डीजे बजाया जाता है, जिसकी वजह से लोग रात में सो नहीं पा रहे हैं तो बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है।
अब तक 50 डीजे संचालकों पर कार्रवाई
भोपाल में तेज आवाज में डीजे बजाने वालों पर करीब 50 कार्रवाई की गई हैं। इनमें गौतमनगर, टीलाजमालपुरा और हनुमानगंज थाना क्षेत्रों में सबसे ज्यादा उल्लंघन सामने आए, जहां पुलिस ने ध्वनि प्रदूषण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए हैं। पुलिस अधिकारी बताते हैं कि कई कार्यक्रमों, बारातों और निजी आयोजनों में निर्धारित सीमा से कहीं अधिक तेज आवाज में डीजे बजाने पर कार्रवाई की गई हैं।
क्षेत्रवार डेसिबल सीमा
क्षेत्र – दिन – रात
औद्योगिक – 75 – 70
व्यावसायिक – 65 – 55
आवासीय – 55 – 45
साइलेंट जोन – 50 – 40
डीजे साउंड की तेज आवाज का यह होता है असर
सामान्य मानक के अनुसार 85 डेसिबल से ऊपर का शोर अगर लगातार एक घंटे तक सुना जाए तो सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाने की शुरुआत हो सकती है। डीजे सिस्टम में शोर अक्सर 100 से 110 डेसिबल तक जाता है। इससे कान में घंटी बजने जैसी आवाज (टिन्निटस), सुनाई देने में कमी, चक्कर, सिरदर्द जैसी समस्याएं तुरंत महसूस हो सकती हैं।
डॉ. अंजन साहू, एम्स भोपाल का कहना है कि 110 डेसिबल से ऊपर का शोर सिर्फ 10–15 मिनट में स्थायी हानि की शुरुआत कर सकता है। इस शोर के कारण शरीर का स्ट्रेस हार्मोन (एड्रेनालिन) बढ़ने लगता है। इससे दिल की धड़कन तेज होती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है, सांस फूलने जैसी स्थिति बनती है। लंबे समय तक अत्यधिक शोर में रहने से हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ सकता है, खासकर उन लोगों में जिन्हें पहले से दिल या ब्लड प्रेशर की समस्या है।
इनका कहना है
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर का कहन है कि जिले में डीजे–साउंड सिस्टम के निर्धारित सीमा से अधिक तेज आवाज में बजाने की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि वह थाना पुलिस के सहयोग से संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। जिससे कि लोगों को परेशानी न हो और बच्चों के अध्ययन में भी व्यवधान उत्पन्न न हो।