नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजस्व विभाग ने पशुपालन विभाग को वर्ष 1990 में कोकता के आसपास 99 एकड़ जमीन आवंटित की थी। तब से अब तक 35 साल में विभाग के 21 संचालक आए और चले गए, लेकिन जमीन की सुरक्षा को लेकर लापरवाह रहे। राजधानी में सरकारी जमीनों पर कुख्यात मछली परिवार के कब्जे का मामला खुला को विभाग गहरी नींद से जागा। उसे अपनी जमीन की याद आई, तब तक जमीन का एक हिस्सा उनके पांव के नीचे से खिसक चुका था। सरकारी जमीन की यह लूट अधिकारियों के नाक के नीचे हुआ है।
दरअसल, पशुपालन विभाग के आग्रह पर तीन तहसीलदार, तीन आरआइ और 11 पटवारियों की टीम ने सीमांकन किया तो जमीन की लूट का खेल खुला। सामने आया कि कुल 99 एकड़ जमीन में से 11 एकड़ पर पशुपालन विभाग की पोल्ट्री है। उसके बाद करीब सात एकड़ जमीन में 80 से अधिक स्थायी अतिक्रमण मिले हैं। इनमें मकान, दुकान, पेट्रोल पंप, स्कूल, रिसोर्ट के अलावा सड़क और एसटीपी तक शामिल है। चिंता की बात यह है कि विभाग के अलावा जिले में पदस्थ रहे कलेक्टरों को भी इस फर्जीवाड़ा की भनक नहीं लगी और तत्कालीन तहसीलदारों ने नामांतरण किया और पंजीयक इन जमीनों की रजिस्ट्रियां करते रहे।
पशुपालन विभाग में अभी डा. पीएस पटेल संचालक हैं। 1990 से अब तक 35 वर्ष में इस विभाग को 21 संचालक संभाल चुके हैं। इनमें डॉ. पीआर शर्मा, डॉ.पीडी लिमिये, डॉ. एमएम तट्टे, डॉ. एसआर नेमा, डॉ. आरके निगम, एसके चतुर्वेदी, डॉ. आरएस यादव, डॉ. आरएन सक्सेना, वीसी सेमवाल, शैलेंद्र सिंह, केके सिंह, डॉ. राजेश राजौरा, केसी गुप्ता, एससी प्रजापति , आइसीपी केशरी,शिखा दुबे, डॉ. आरएस श्रीमाल, डॉ. बीडी लारिया, डॉ. पीएस जाट, डॉ. आरके रोकड़े, डॉ. आरके मेहिया शामिल हैं।
पशुपालन विभाग में सबसे लंबा कार्यकाल डॉ. आरके रोकडे का रहा। वे वर्ष 2009 से 2021 तक यानि 12 साल तक संचालक बने रहे। इसी दौरान वहां से भोपाल बायपास निकला। उसके बाद ही यह जमीन भू माफिया की नजर में आई। कोकता का मुख्य बायपास 200 फिट तक इसी जमीन पर बना दिया गया और नगर निगम ने 50 दुकानें बनाकर बेच डालीं। धीरे-धीरे जमीन पर कब्जे होते गए और संचालक अनभिज्ञ रहते हुए ही सेवानिवृत्त हो गए।
गोविंदपुरा तहसील में पिछले 12 साल में पदस्थ तहसीलदारों ने भी नामांतरण करते समय यह ध्यान नहीं दिया कि जमीन किसकी है और किस प्रयोजन से वहां छोड़ी गई है। नतीजतन पशुपालन विभाग की जमीन पर लोगों को सभी तरह की अनुमतियां मिलती चली गई और उन्होंने निजी भूमि समझ पक्के निर्माण कर लिए। वर्ष 2015 से गोविंदपुरा तहसीलदार की कुर्सी पर हरिशंकर विश्वकर्मा, भुवन गुप्ता, सुधीर कुशवाह, मनीष शर्मा, संतोष मुदग्ल , मनोज श्रीवास्तव, देवेंद्र चौधरी, सुनील वर्मा, मुकेश राज, दिलीप कुमार चौरसिया पदस्थ रहे और अब सौरभ वर्मा जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
राजस्व के रिकॉर्ड में यह जमीन पशुपालन विभाग के नाम पर दर्ज है। इसके बाद भी तत्कालीन कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त तक को पता नहीं चला। यही कारण है कि निगम ने दुकानें बनाकर बेच डालीं। पिछले 12 साल में भोपाल में जिलाधीश की कुर्सी पर शिवशेखर शुक्ला, निकुंज कुमार श्रीवास्तव, निशांत बरबड़े, डॉ. सुदाम खाड़े, तरूण कुमार पिथौड़े, अविनाश लवानिया, आशीष सिंह पदस्थ रहे और अब कौशलेंद्र विक्रम सिंह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
नगर निगम द्वारा निर्मित 50 दुकानें, एसटीपी प्लांट - एचपी पेट्रोल पंप - निर्माणाधीन कस्तूरी कोर्टयार्ड, कोर्टयार्ड प्राइम का गेट, पहुंच मार्ग
पार्क - डायमंड सिटी कालोनी का पहुंच मार्ग व 20 मकान - द ग्रीन स्केप मेंशन शादी हाल
रिसोर्ट - बीपीएस स्कूल - राजधानी परिसर पहुंच मार्ग - कोकता मुख्य बायपास मार्ग 200 फिट - फर्सी-पत्थर की दुकान - शुकराचार्य फार्म्स का पहुंच मार्ग - फार्म हाउस
पक्का निर्माण - सवा सात एकड़ में भूमि पर कृषि कार्य
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पशुपालन विभाग सेवानिवृत्त संचालक डॉ. आरके रोकड़े ने इस पर कहा कि कोकता ट्रांसपोर्ट नगर और हथाईखेड़ा डैम के पास विभाग की 99 एकड़ जमीन स्थित है। उसके 11 एकड़ में पोल्ट्री फार्म बना है। उस पर पूरी नजर रखी जाती थी। पोल्ट्री में पदस्थ उप संचालक सहित अन्य अधिकारियों से भूमि की जानकारी समय-समय पर ली जाती थी तो वहां से कोई अतिक्रमण नहीं होने की रिपोर्ट ही मिलती थी।
पशुपालन विभाग संचालक डॉ. पीएस पटेल ने कहा कि विभाग की 99 एकड़ जमीन का सीमांकन प्रशासन द्वारा पूरा कर दिया गया है। जिसमें से लगभग छह एकड़ में अवैध कब्जे मिले हैं, जिन्हें हटाकर जमीन को मुक्त करवाने की कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि गोविंदपुरा एसडीएम और तहसीलदार ने पशुपालन विभाग की जमीन का सीमांकन कर रिपोर्ट सौंप दी है। जिसमें अतिक्रमण सामने आए हैं, सभी को चिह्नित कर लिया गया है। अतिक्रमणकारियों को नोटिस देने के निर्देश दिए गए हैं, इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।