नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। घरेलू हिंसा और विवादों की वजह से परिवार टूट रहे हैं। इसकी वजह से युवाओं का विवाह नाम की संस्था से भरोसा कम हो रहा है। कई बार पारिवारिक विवादों में नई बहू के साथ सामंजस्य नहीं बैठना या बहू का नए परिवेश में नहीं ढल पाने से उपजी समस्या बड़ी वजह है। इन सबको ध्यान में रखकर भोपाल का सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय (नूतन कॉलेज) अपनी छात्राओं से आदर्श बहू तराश रहा है।
यहां 'विवाह एवं परिवार परामर्श केंद्र' शुरू हुआ है। इसके जरिये छात्राओं को परिवार का महत्व समझाने के साथ पारिवारिक मूल्यों को सहेजते हुए चलने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके जरिये उनके कानूनी अधिकार और सामाजिक कर्तव्यों की जानकारी दी जा रही है। वहीं उनकी कई निजी और पारिवारिक समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
प्राचार्य का कहना है कि इस केंद्र का उद्देश्य छात्राओं को मानसिक रूप से सशक्त बनाकर उन्हें सामाजिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाना है। इस केंद्र का उद्घाटन अप्रैल में किया गया। अब तक इसमें 150 से अधिक मामले आए हैं।
इस केंद्र में एक काउंसलर, मनोविज्ञानी, समाजशास्त्री, महिला आयोग की पूर्व सदस्य भी हैं, जो छात्राओं की समस्याओं का समाधान कर रही हैं। प्रत्येक माह के दूसरे व तीसरे शनिवार को काउंसलिंग की जाती है। सभी मामलों में काउंसलिंग कर सुलझाया गया है। साथ ही कई गंभीर मामलों में परिवार को बुलाकर काउंसलिंग भी की जाती है।
विवाह एवं परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी निशा जैन ने बताया कि महाविद्यालय में सात हजार छात्राएं अध्ययनरत हैं। आजकल छात्राओं में विवाह नहीं करने और तलाक लेकर परिवार से अलग रहने की समस्या सामने आ रही है। इस कारण सभी के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें परिवार में सामंजस्य बैठाने और संयुक्त परिवार के महत्व को बताया जा रहा है।
केस-1 बीए अंतिम वर्ष की छात्रा अपनी समस्या लेकर आई थी कि उसका परिवार उसकी शादी तय कर दिए थे। उसे परीक्षा नहीं देने देंगे। उसका कहना था कि वह आगे भी पढ़ना चाहती है और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना चाह रही है। इस मामले में छात्रा के परिवार को बुलाकर काउंसलिंग की गई और अभी भी उसकी पढ़ाई जारी है।
केस-2 बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की शादी संयुक्त परिवार में हो गई थी। ससुराल वाले उसकी पढ़ाई बंद कराना चाहते थे। वह दिन-रात रोती रहती थी और अवसाद में चली गई थी। उसके परिवार वाले को बुलाकर काउंसलिंग की गई और अब वह खुशी-खुशी पढ़ाई कर रही है।
केस-3 बीकाम द्वितीय वर्ष छात्रा की मां ने आत्मघाती कदम उठा लिया था। उसके पिता का देहांत हो गया था। वह चाचा-चाची के साथ रहती थी। वह अवसाद में चली गई थी। वह क्लास के दौरान बिल्कुल चुप रहती थी। उसकी काउंसलिंग की गई और अब अच्छे अंक भी ला रही है।
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शासकीय सरोजनी नायडू कन्या महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. दीप्ती श्रीवास्तव ने कहा कि इस केंद्र का उद्देश्य छात्राओं को मानसिक रूप से सशक्त बनाकर उन्हें सामाजिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाना है। छात्राओं को पारिवारिक मूल्यों, संस्कृति, परंपरा के सम्मान के साथ कानूनी अधिकारों की जानकारी देना है। इसके माध्यम से छात्राओं को जागरूक भी किया जा रहा है।