Investment in MP सौरभ सोनी, भोपाल। उद्योगों के लिए आवश्यक सड़क, बिजली, पानी, और अधोसंरचना सहित सुशासन के हर पैमाने में मध्य प्रदेश निवेशकों के लिए पहली पसंद बन रहा है। किसी समय बीमारू के नाम से बदनाम मध्य प्रदेश अब विकासशील राज्य की तरफ बढ़ गया है। यहां के उद्योग मित्र माहौल का ही परिणाम है कि पिछले 10 वर्षों में यहां तीन लाख करोड़ के उद्योग धंधे लगे और दो लाख युवाओं को रोजगार मिला।
औद्योगिक घरानों का भरोसा जीतने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को लगातार सफलता मिल रही है। सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम, बिना अनुमति उद्योग की स्थापना सहित जो वादे उद्योग जगत से किए हैं, उन्हें धरातल पर उतारा जा रहा है। हालांकि, अब भी कुछ कमियां हैं, जैसे उद्योगों की स्थापना से जुड़े विभागों के अधिकारियों की कार्य संस्कृति में सुधार लाना पड़ेगा। ऐसा हुआ तो मध्य प्रदेश देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां सर्वाधिक निवेश होता है।
कम लागत और बड़ा काम। यही वो तरीका है जो अर्थव्यवस्था को गति देकर मध्य प्रदेश की तस्वीर बदल सकता है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का विस्तार सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम बन सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार इसे प्राथमिकता में ले और वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराए जो छोटे उद्योगों के लिए वातावरण बनाने का काम करें। सरकार भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। 194 औद्योगिक क्षेत्र केवल एमएसएमई के लिए बनाए गए हैं और प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर में क्लस्टर बनाए गए हैं। सरकार के अनुसार तीन लाख 54 हजार एमएसएमई इकाइयों को पंजीकृत किया है। इनमें 18.33 लाख नौकरियां उत्पन्न करने की क्षमता है। इसके साथ-साथ ग्रामीण कुटीर उद्योग पर भी फोकस करना होगा। स्थानीय स्तर पर इसको लेकर काफी संभावनाएं भी हैं।
मध्य प्रदेश में 10 साल में 30 लाख 13 हजार 41.607 करोड़ रुपये के 13 हजार 388 निवेश प्रस्ताव आए। इनमें तीन लाख 47 हजार 891 करोड़ रुपये के 762 पूंजी निवेश हुए हैं। इन पूंजी निवेश से प्रदेश में दो लाख सात हजार 49 बेरोजगार को रोजगार मिला है। इसी तरह वर्ष 2007 से अक्टूबर 2016 तक आयोजित इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन पर 50.84 करोड़ रुपये व्यय किए गए और 366 औद्योगिक इकाइयों को 1224 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी गई।
मध्य प्रदेश से अधिकांश उत्पादों को जीआई टैग दिलाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें आदिवासियों की पारंपरिक औषधियों, खाद्यान्न और उनकी कलात्मक वस्तुओं को प्राथमिकता दी जाएगी। जीआई टैग सबसे अधिक दक्षिण भारत के हैं। मध्य प्रदेश सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के छोटे से छोटे उत्पाद को जीआई टैग मिले। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 21 उत्पादों को जीआई टैग मिला है। मध्य प्रदेश के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की ब्रांडिंग की जा रही है। इसके लिए अलग से एक सेल गठित किया गया है।
मध्य प्रदेश के रोजगार पोर्टल पर 38 लाख 93 हजार 149 बेरोजगार हैं। इनमें से 37 लाख 80 हजार 679 शिक्षित और एक लाख 12 हजार 470 अशिक्षित बेरोजगार आवेदक सरकार की सूची में पंजीकृत हैं। राज्य सरकार ने अप्रैल 2020 से अब तक तीन साल में केवल 21 बेरोजगारों को ही शासकीय, अर्द्धशासकीय कार्यालयों में रोजगार उपलब्ध कराया। यह बात राज्य विधानसभा में सरकार ने विधायकों के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। हालांकि, यह भी बताया गया है कि निजी क्षेत्र के नियोजकों द्वारा बेरोजगार मेले के माध्यम से दो लाख 51 हजार 577 आवेदकों को ऑफर लेटर प्रदान किए गए। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 16 करोड़ 74 लाख रुपये व्यय किए गए।
इसमें कोई दो राय नहीं कि मध्य प्रदेश में औद्योगिक माहौल बेहतर हुआ है। अधोसंरचना विकास भी हुआ है, लेकिन अब भी व्यवस्था में सुधार करना होगा। मप्र से निर्यात की व्यवस्था बेहतर करनी होगी। इसके लिए सरकार को बंदरगाह (पोर्ट) तक जाने के लिए माल के भाड़े में सब्सिडी की की व्यवस्था करनी चाहिए। कुछ राज्यों ने इस दिशा में बेहतर काम किया है। टैक्स की दोहरी व्यवस्था बंद होनी चाहिए। अभी नगर निगम और एकेवीएन एक ही काम मेंटेनेंस के नाम पर टैक्स लेते हैं। औद्योगिक इकाइयों के लिए आवश्यक सामग्री जैसे गैस पर सबसे अधिक भारत में वेट है, इसे कम किया जाना चाहिए। कुछ बेसिक सुधार किए जाते हैं तो प्रदेश में औद्योगिक वातावरण और बेहतर होगा। -राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज, मंडीदीप