
अनुज मैना, नईदुनिया, भोपाल। सीहोर जिले में स्थित कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम पर प्रतिदिन देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। करीब 11 साल पहले जब इस धाम की नींव रखी गई थी, तब यहाँ जमीन के दाम लगभग 10 लाख रुपये प्रति एकड़ थे। कोरोना काल में शिवमहापुराण कथा के जरिए देशभर के लाखों श्रद्धालु पंडित प्रदीप मिश्रा से जुड़ गए और कुबेरेश्वर धाम की प्रसिद्धि चरम पर पहुंच गई। आज स्थिति यह है कि यहां होटल, रेस्टोरेंट और दुकान खोलने के लिए जमीनों के दामों में अप्रत्याशित उछाल आया है।
वर्तमान में कुबेरेश्वर धाम के आसपास प्राइम लोकेशन की जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। यहाँ अब 10 करोड़ रुपये प्रति एकड़ में भी जमीन बमुश्किल मिल रही है, जबकि महज दो साल पहले तक यहाँ जमीन की कीमत 15 लाख रुपये प्रति एकड़ के आसपास थी। प्रॉपर्टी डीलर संतोष राजपूत के अनुसार, कुबेरेश्वर धाम के चर्चित होने से प्राइम लोकेशन की जमीनें अब करोड़ों में बिक रही हैं। धाम से थोड़ी दूरी पर स्थित जमीनों के दाम भी अब चार से पांच करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच गए हैं।
कुबेरेश्वर धाम के बढ़ते महत्व को देखते हुए वर्ष 2023 में सीहोर जिला प्रशासन ने 'चितावलिया हेमा' गांव को प्रॉपर्टी गाइडलाइन की विशिष्ट गांव की सूची में शामिल कर लिया है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए न केवल सीहोर शहर, बल्कि आसपास के गांवों जैसे नापली, गुड़भेला और अमलाहा में भी व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी आई है। आंकड़ों के अनुसार, कोरोना काल से पहले तक सीहोर शहर में केवल 35 होटल थे, लेकिन पिछले छह वर्षों में सीहोर और आसपास के क्षेत्रों में 500 से अधिक नए होटल, होमस्टे और धर्मशालाएं खुल चुकी हैं।
कुबेरेश्वर धाम ने स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए हैं। धाम परिसर में करीब 700 लोग श्रद्धालुओं के माथे पर तिलक लगाने का कार्य करते हैं। तिलक लगाने वाली सवित्री बाई ने बताया कि आम दिनों में वे तिलक लगाकर प्रतिदिन 1000 से 1500 रुपये तक कमा लेती हैं। वहीं रुद्राक्ष महोत्सव, कांवड़ यात्रा या गुरु दीक्षा जैसे बड़े आयोजनों के दौरान एक व्यक्ति की आमदनी 5000 रुपये प्रतिदिन से भी अधिक हो जाती है।
आगामी 14 से 20 जनवरी तक कुबेरेश्वर धाम में भव्य रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा शिवमहापुराण की कथा सुनाएंगे। आयोजकों को उम्मीद है कि इस महोत्सव में देशभर से 10 से 12 लाख श्रद्धालु पहुँच सकते हैं। वर्तमान में भी यहां मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में भक्त प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।
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