Lok Sabha Election 2024 वैभव श्रीधर, भोपाल। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है। पार्टी का दावा है कि महंगाई ने आमजन की कमर तोड़कर रख दी है। खाने-पीने से लेकर रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं की कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं। क्रूड आयल की कीमतें कम होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटाैती ऊंट के मुंह में जीरे के समान है और यह भी तब की गई, जब चुनाव की घड़ी आ गई। उधर, भाजपा का दावा है कि महंगाई नियंत्रण में है।
कोरोना काल के कठिन समय में अर्थव्यवस्था को संभालकर रखते हुए विकास को गति देना दर्शाता है कि हमारी नीतियां सही दिशा में हैं।कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की तरफ से महंगाई के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। पार्टी का आरोप है कि खाने का तेल, आटा, दालें, सब्जी, स्कूल की फीस, बिजली के बिल, पेट्रोल-डीजल की कीमत 2014 के मुकाबले कई गुना बढ़ चुकी हैं।
कांग्रेस का कहना है कि प्रति बैरल क्रूड आयल की दर कम होने के बाद भी आमजन को इसका लाभ नहीं दिया गया। पेट्रोलियम कंपनियों ने लाखों करोड़ रुपये कमाए। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण खाद्यान्न की कीमतें बढ़ी हैं। निर्यात पर प्रतिबंध तब लगाया गया, जब देश से उपज अच्छे दाम में निर्यात हो रही थीं। प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर किसानों के हित को चोट पहुंचाई गई।
वहीं, भाजपा इन आरोपों को नकारते हुए दावा करती है कि महंगाई दर कम हुई है। दुनिया में जब महंगाई बढ़ रही है तब देश में इस पर नियंत्रण रखा गया। विकास की गति को बाधित नहीं होने दिया। प्रति व्यक्ति वार्षिक आय में लगातार वृद्धि हो रही है। प्रदेश में बिजली की दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया तो गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रति क्विंटल 125 रुपये बोनस देने का निर्णय लिया गया। रसोई गैस की दर में कमी की गई तो श्रमिकों के परिश्रमिक में वृद्धि के साथ कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया गया।
ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी कहते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमत कम होने का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। प्रति क्विंटल दो से पांच रुपये तक कम होते हैं, जिसका अंतत: लाभ आम उपभोक्ता को होता है।
हालांकि, ट्रांसपोर्टर सोनू कुमार की राय इससे अलग है। उनका कहना है कि हम जब तक समग्रता में नहीं देखेंगे तब तक यह निष्कर्ष नहीं निकाल पाएंगे कि महंगाई रुपये प्रति लीटर कम होने से कोई फर्क पड़ेगा या नहीं। वे उदाहरण देते हैं कि भोपाल से जबलपुर बड़ा वाहन भेजने पर लगभग दो हजार रुपये टोल टैक्स लग जाता है। प्रतिवर्ष दस प्रतिशत की वृद्धि होती है। बीमा की लागत दोगुनी हो गई है। टायर की लागत में तीन हजार रुपये की वृद्धि हुई है। पहले कोई पार्ट खराब होता था तो सुधर जाता था, अब सीधे बदलता है। इस प्रकार देखेंगे तो पाएंगे कि दो-पांच रुपये प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल की कीमत कम होने से कोई बड़ा अंतर नहीं आता है।
सब्जी विक्रेता कल्याण संघ के अध्यक्ष मोहम्मद नसीम का कहना है कि सब्जी और फलों की कीमत आवक पर निर्भर होती है। आवक कम होती है तो कीमतें बढ़ती हैं और जब आवक अधिक होती है तो कीमतें घट जाती हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के विचार विभाग के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि महंगाई पेट्रोल, डीजल, गैस, कोयला, खाने का तेल, बिजली के दाम से तय होती है। सरकार बताए कि 2014 की तुलना में इनके दाम तीन गुने हो गए हैं तो महंगाई घटी कैसे है। इस पर श्वेतपत्र सामने लाए। कार्यालयों में बैठकर पैदा किए गए आंकड़े भारत की वास्तविकता नहीं बदल सकते हैं। 30 प्रतिशत कम दर पर कच्चा तेल मिल रहा है फिर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें न घटाकर लाखों करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया गया।
भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल कांग्रेस के आरोपों को नकारते हुए कहते हैं कि भारत ने दुनिया में जिस तेजी से महंगाई पर नियंत्रण किया, उसका डाटा सबके सामने है। कोरोना जैसे संकट के बाद भी अर्थव्यवस्था मजबूत रखी और महंगाई पर नियंत्रण रखा, वह मोदी सरकार की सफलता है। कांग्रेस को तो इस बारे में बात करने का भी अधिकार नहीं है क्योंकि पेट्रोल-डीजल की दर कम करने का वादा करके विधानसभा चुनाव जीता लेकिन सरकार बनने के बाद वादाखिलाफी की, जो सबके सामने है। हम महंगाई पर नियंत्रण रखकर चल रहे हैं। दुनिया में महंगाई दर बढ़ी है पर भारत में अपेक्षाकृत कम है।