
Lok Sabha Election 2024 वैभव श्रीधर, भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन में युवा नेतृत्व को आगे लाने के बाद अब लोकसभा चुनाव में नए चेहरों के साथ मैदान में उतरी है। 29 लोकसभा सीटों में से अभी तक 22 के लिए प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं। इनमें 10 पहली बार चुनाव लड़ेंगे। वहीं, पांच विधायकों पर भी दांव लगाया है। संगठन में काम कर चुके नेताओं को चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है।
यह पहली बार है कि पार्टी के दो विभाग (ओबीसी और अनुसूचित जनजाति) के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव लड़ रहे हैं। तीन पूर्व विधायकों को टिकट देकर उनके अनुभव का लाभ उठाने की भी तैयारी है। हालांकि, महिलाओं को प्रतिनिधित्व अभी तक पिछले चुनाव के मुकाबले कम है। पार्टी ने एक ही महिला नीलम अभय मिश्रा को रीवा से टिकट दिया है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों करारी हार के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने संगठन में जान फूंकने के लिए जीतू पटवारी को प्रदेश इकाई का अध्यक्ष और उमंग सिंघार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर पीढ़ी परिवर्तन का संदेश दिया था। लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी चयन में भी इसी लाइन को आगे बढ़ाने का काम किया गया। आदिवासियों के बीच काम करने वाले राधेश्याम मुवेल को धार और पोरलाल खरते को खरगोन से प्रत्याशी बनाया।
बालाघाट जिला पंचायत के अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार को आगे करके पार्टी ने क्षेत्र में नया चेहरा तैयार किया है। भाजपा ने भी यहां से भारती पारधी के रूप में नया चेहरा दिया है। पार्टी ने टीकमगढ़ से अपने अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज अहिरवार को आगे बढ़ाया है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में जतारा से टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने किरण अहिरवार पर भरोसा जताया था। रीवा में जातीय समीकरण को देखते हुए सेमरिया से विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम पर दांव लगाया है। अभय विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में आए थे। वहीं, नीलम मिश्रा भाजपा से 2013 में सेमरिया से विधायक भी रह चुकी हैं पर कांग्रेस से पहली बार चुनाव लड़ेंगी।
जबलपुर से दिनेश यादव और भोपाल से अरुण श्रीवास्तव को चुनाव लड़ने के लिए चुना गया है। दोनों को चुनाव लड़वाने का लंबा अनुभव है। सागर से पार्टी कमल नाथ के करीबी पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे को चुनाव लड़ाना चाहती थी। उनका नाम भी प्रस्तावित किया गया था लेकिन उन्होंने पाला बदलकर भाजपा की सदस्यता ले ली तो कांग्रेस ने बसपा छोड़कर विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में शामिल हुए चंद्रभूषण सिंह बुंदेला गुड्डू राजा पर दांव लगाया। इनके पिता सुजान सिंह बुंदेला दो बार से सांसद रहे थे।
पार्टी ने इंदौर से अक्षय कांति बम को आगे बढ़ाया है। ये भी पहली बार चुनाव लड़ेंगे। वहीं, बैतूल से आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम और सतना से अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा पर भरोसा जताया है।
कांग्रेस ने अब तक 22 सीटों के प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसमें केवल एक महिला रीवा से नीलम अभय मिश्रा हैं। जबकि, 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन, टीकमगढ़ से किरण अहिरवार, खजुराहो से कविता सिंह, शहडोल से प्रमिला सिंह और राजगढ़ से मोना सुस्तानी को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा ने 29 सीटों में छह सीटों पर महिला प्रत्याशी दिए हैं। इनमें शहडोल से हिमाद्री सिंह, बालाघाट से भारती पारधी, सागर से लगता वानखेड़े, धार से सावित्री ठाकुर, भिंड से संध्या राय और रतलाम से अनीता चौहान शामिल हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने चार महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था और चारों ने जीत प्राप्त की थी। सूत्रों का कहना है कि जिन छह सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा होना शेष हैं, उनमें दो सीटों पर महिला प्रत्याशी हो सकती हैं।
पार्टी ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए भिंड से फूल सिंह बरैया, शहडोल से फुंदेलाल सिंह मार्को, मंडला से ओमकार सिंह मरकाम, उज्जैन से महेश परमार और सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, 2023 में विधानसभा चुनाव हारने वाले होशंगाबाद से पूर्व विधायक संजय शर्मा, सीधी से कमलेश्वर पटेल और मंदसौर से दिलीप सिंह गुर्जर पर भरोसा जताया है।
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बार-बार यह बात सामने आई कि बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। इस बीच कांग्रेस छोड़कर बड़ी संख्या में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भाजपा में चले गए। इससे पार्टी के प्रति बन रहे नकारात्मक माहौल को बदलने और कार्यकर्ताओं को संदेश देने के लिए वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को राजगढ़ और कांतिलाल भूरिया को रतलाम से चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया गया।
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने राहुल गांधी से मिलकर अपना पक्ष भी रख दिया है पर गुना संसदीय क्षेत्र में उनका स्थानीय नेता बाहरी बताकर विरोध कर रहे हैं। इस कारण केंद्रीय चुनाव समिति की पिछली बैठक में उनके नाम पर सहमति बनने के बाद भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया। यहां से राव यादवेंद्र सिंह यादव का नाम प्रस्तावित किया है। यही स्थिति मुरैना और ग्वालियर सीट को लेकर भी है।
मुरैना से पार्टी के अधिकतर नेता पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार को प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में हैं लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने यहां से जौरा से विधायक पंकज उपाध्याय का नाम आगे बढ़ाया है। उनका तर्क है कि भाजपा शिवमंगल सिंह ताेमर को प्रत्याशी बनाकर ठाकुर दे चुकी है इसलिए जातीय समीकरण को देखते हुए ब्राह्मण चेहरा आगे किया जाना चाहिए। इसी तरह ग्वालियर से वे रामसेवक सिंह गुर्जर को चाहते हैं लेकिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रवीण पाठक का नाम आगे बढ़ाया है।
खंडवा में पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और नरेन्द्र पटेल के नाम प्रस्तावित हैं तो दमोह विधायक रामसिया भारती और दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष रंजीता गौरव पटेल के नाम पर विचार किया जा रहा है। विदिशा में शिवराज सिंह चौहान से मुकाबले के लिए सिलवानी से विधायक देवेंद्र पटेल, अनुमा आचार्य और पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा के नाम पर विचार चल रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि कांग्रेस पूरी दम के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। 50 प्रतिशत टिकट नए चेहरों को दिए गए हैं। शेष छह सीटों के प्रत्याशी के नाम 27 मार्च को प्रस्तावित केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में तय हो जाएंगे। अरुण यादव पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। जो पार्टी निर्णय लेगी, वैसा सब करेंगे। कांग्रेस ने अनुशासनहीनता के कारण जिन्हें बाहर किया था, उनमें से 80 प्रतिशत ने भाजपा की सदस्यता ली है।