Lok Sabha Election 2024 टीम नईदुनिया, मालवा-निमाड़। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति विधानसभा चुनाव के पहले से ही गड़बड़ा गई है। पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की संख्या कम होने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। लोकसभा चुनाव सामने होने के बाद भी कांग्रेस के बड़े नेताओं का फोकस चुनाव से ज्यादा अपने बिखरते कुनबे को को जोड़े रखने पर है।
उज्जैन जिले में विधानसभा चुनाव से कांग्रेस को कई उम्मीदें थीं। कांग्रेस नेता दावा कर रहे थे कि इस बार सरकार उनकी बनेगी। मगर मोदी मैजिक और लाड़ली बहना योजना के कारण कांग्रेस का सपना अधूरा रहा। इसके बाद उज्जैन से विधायक चुने गए डा. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद कुछ कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हुए। हालांकि इनमें कोई बड़ा नेता शामिल नहीं है।कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता रह चुके एडवोकेट विवेक गुप्ता ने पिछले महीने कांग्रेस ज्वाइन की थी।
शाजापुर जिले में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही कई कांग्रेसी बीजेपी में शामिल हो गए थे। विधानसभा चुनाव के पश्चात कांग्रेस जिला अध्यक्ष रहे योगेंद्र सिंह बंटी बना अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में जिले में कांग्रेस के सामने पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं के कारण बने रिक्त स्थान को भरना चुनौती है। इसके अलावा कांग्रेस विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों सीट से चुनाव हारी है, ऐसे में भी कांग्रेसियों का मनोबल विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में कमजोर है।
मंदसौर संसदीय क्षेत्र में 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के समय ही बड़े नेता सुवासरा विधायक हरदीपसिंह डंग, राजेन्द्रसिंह गौतम, पूर्व विधायक विजयेंद्र सिंह मालाहेड़ा मनासा, रघुराजसिंह चौरड़िया नीमच, केके सिंह कालूखेड़ा जावरा, मुकेश काला सहित कई कांग्रेसी भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद से अभी तक कांग्रेस से भाजपा में कोई बड़ा नेता तो शामिल नहीं हुआ है।
विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सात व कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। इसके पश्चात अभी तक लोकसभा का उम्मीदवार घोषित नहीं होने से भी कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं में निराशा है। उन्हें एक जाजम पर लाने वाला कोई नेता भी दिख नहीं रहा है। इसके अलावा जिले के कांग्रेसी भी आपसी फूट से पार नहीं पा पा रहे हैं। इस कारण भी कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं का मनोबल विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में और ज्यादा कमजोर हो रहा है।
झाबुआ जिले में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का भाजपा में शामिल होना लगातार जारी है। पिछले दिनों पारा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। गुरुवार को कालीदेवी से सटे हत्यादेहली गांव के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में प्रवेश किया है। इसके पूर्व भी कई कांग्रेसी कार्यकर्ता व सरपंच भाजपा में शामिल हो चुके है। भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया का कहना है कि आगामी दिनों में अभी और कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपा में शामिल होंगे। भाजपा नीतियों से प्रभावित होकर कांग्रेस के कार्यकर्ता व सरपंच भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
खरगोन जिले में कांग्रेस की छह विधानसभा सीटें थी। इस विधानसभा में तीन सीटें ही मिली। तीन साल पहले सांसद नंदकुमार सिंह चौहान की मौत के बाद खंडवा लोकसभा का उपचुनाव हुआ था। इसमें बड़वाह के कांग्रेस विधायक सचिन बिरला अपने साथियों के साथ भाजपा में गए। विधानसभा चुनाव में भी सचिन बिरला ने जीत दर्ज की। यहां कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा था। इसके बाद पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष लाली शर्मा भी भाजपा में शामिल हुए थे। सनावद व बड़वाह क्षेत्र के ही कांग्रेसी कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए हैं।
देवास में विधानसभा चुनाव के पहले जिला पंचायत अध्यक्ष लीला अटारिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई थीं। कुछ दिन पहले कमल नाथ के भाजपा में जाने की अटकलें तेज हुई थीं, जिस पर उनके समर्थक सज्जन सिंह वर्मा, दीपक जोशी के भी भाजपा में जाने के कयास लगाए गए थे। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। चुनाव से पहले ही दीपक जोशी भाजपा छोड़ कांग्रेस में गए थे, लेकिन अब फिर से उनके भाजपा में आने की अटकलें चल रही है। कुछ दिन पहले कांग्रेस के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष भाजपा में आए हैं। आगामी कुछ दिनों में कांग्रेस के कुछ नेताओं को भाजपा में लाने की रणनीति पर काम चल रहा है।
खंडवा में कांग्रेस सरकार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ विधायक मान्धाता नारायण पटेल और नेपानगर सुमित्रा कास्डेकर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए और चुनाव लड़कर विधायक निर्वाचित हुए थे। वहीं हाल ही के विधानसभा चुनाव में पंधाना से कांग्रेस से भाजपा में छाया मोरे भी भाजपा में शामिल हुईं। वे भी विधायक निर्वाचित हो चुकी हैं।