नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। जिले में पिछले सालों में सरकारी जमीन की किसकदर लूट मची, इसका अंदाजा अनंतपुरा में मछली परिवार को प्रीमियम लोकेशन पर दी गई 10 एकड़ जमीन से लगाया जा सकता है। यौन शोषण और ड्रग्स माफिया यासीन मछली व शाहवर मछली के स्वजनों पर किसने कृपा बरसाई, इसकी भी जांच शुरू कर दी गई है। हुजूर तहसील में हुई एक शिकायत के आधार पर अनंतपुरा के खसरों की जांच करवाई जा रही है, जिसमें अब तक करीब 10 खसरे वर्ष 1959 के रिकार्ड में सरकारी होना पता चले हैं।
यह सभी खसरे मछली परिवार के नाम पर कर दिए गए हैं, जिनमें लगभग 10 एकड़ जमीन दर्ज है। इसी जमीन पर मछली ने अपना साम्राज्य फैलाया और आसपास स्थित अन्य सरकारी जमीन व निजी भूमियों को औने-पौने दामों पर खरीदकर अवैध कॉलोनियों का निर्माण भू-माफिया के साथ मिलकर किया है। हुजूर एसडीएम विनोद सोनकिया को दिए गए शिकायती आवेदन में मछली परिवार व उसके साथियों पर आरोप लगाए गए हैं कि अनंतपुरा स्थित खसरों पर आनंद लेक सिटी नाम से अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही है।
यह जमीन वर्ष 1959 के रिकॉर्ड में सरकारी दर्ज थी जो कि बाद में निजी भूमि कर दी गई है। इसी शिकायत के आधार पर एसडीएम ने तहसीलदार, आरआइ और पटवारी की टीम का गठन कर खसरों की जांच शुरू करवा दी है।अब तक की जांच में 79, 92,93,94,95,96,97,101,102,और 31 नंबर के खसरों पर वर्ष 1959 के रिकार्ड में सरकारी भूमि दर्ज थी लेकिन बाद में इन खसरों की करीब 10 एकड़ भूमि मछली परिवार शारिक अहमद, तारिक अहमद, सुहैल अहमद, शकील अहमद, शफीक अहमद के नाम कर दी गई है।
इनके खसरों में बताया गया है कि यह भूमि शासकीय होकर विक्रय योग्य नहीं है, इससे स्पष्ट है कि माफिया को प्रीमियम लोकेशन की जमीन आवंटित कर लाभ पहुंचाया गया है। चारों तरफ शासकीय भूमि, इसलिए गहराया शक अनंतपुरा हथाईखेड़ा डैम के पास जहां पर मछली परिवार के द्वारा अवैध कालोनी विकसित की जा रही है, उसके चारों तरफ शासकीय भूमि स्थित है।इस वजह से प्रशासन का शक गहराता जा रहा है कि जब चारों तरफ सरकारी भूमि है तो एक परिवार के इतने सारे सदस्यों के नाम निजी भूमि कैसे हो सकती है।
यही कारण है कि अब प्रशासन द्वारा वर्ष 1959 का रिकॉर्ड निकालकर भूमि का पुराना खसरा देखा जा रहा है, जिसमें यदि भूमि सरकारी होना पता चलती है तो अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई करने के साथ ही सरकार भूमि को अपने कब्जे में लेगी। अब तक हुई खसरों की जांच में यह तो स्पष्ट हुआ है कि मछली परिवार को आवंटित भूमि वर्ष 1959 में शासकीय थी लेकिन बाद में मछली परिवार को दी गई है।वहीं सिंचाई विभाग की जमीन होने का दावा भी किया जा रहा है लेकिन अब तक तहसीलदार और पटवारियों द्वारा की जा रही जांच में विभाग की भूमि होना पता नहीं चला है।
वहीं विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी अनंतपुरा में अपनी जमीन होने की बात की पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं। हथाईखेड़ा अनंतपुरा में लगभग 10 एकड़ जमीन जो शासकीय थी और बाद में मछली परिवार के नाम की गई है, उसकी वर्तमान में कीमत करीब 20 करोड़ आंकी जा रही है। इस भूमि को अपने नाम करवाने केे मामले में आशंका जताई जा रही है कि माफिया के स्वजनों ने यह जमीन पट्टे से वर्तमान अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर अपने नाम करवाई है। इस बिंदु को लेकर शासन द्वारा जांच करवाई जा सकती है, जिसमें कई बड़े अधिकारी घेरे में आ सकते हैं।
हथाईखेड़ा के अनंतपुरा में शासकीय जमीनों को निजी करने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। जिसकी जांच करवाने के निर्देश हुजूर एसडीएम को सौंपी गई है, इसके लिए वर्ष 1959 के रिकार्ड से मिलान किया जा रहा है।यदि जमीन सरकारी होना पता चलती है तो इसे वापस लेकर भूमाफिया के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर