
वीरेंद्र तिवारी, नवदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में मोहन सरकार को आज 2 साल पूरे हो गए हैं। मुझे भोपाल से आंध्र प्रदेश जाते हुए उनसे राजकीय विमान में बातचीत करने का मौका मिला। मेरा पुराने लीडर्स से साक्षात्कार का अनुभव रहा है कि सवालों की लिस्ट मांगी जाती है। बार-बार कहा जाता है कि कृपया कुछ लचीले सवाल पूछें, लेकिन सच कहूं तो इस बार मामला एकदम अलग रहा। मुझसे कोई सवालों की लिस्ट नहीं मांगी गई। हर मुद्दे, खासकर ऐसे जिन पर किसी भी प्रदेश का कोई भी मुखिया असहज हो जाए, उस पर उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिया।
फिर चाहे वह सूबे की पुलिसिंग पर उठ रहे सवाल हों या निवेश की बात, विपक्ष के आरोप हों या उज्जैन में सिंहस्थ का मामला। पूरे सफर के दौरान मोहन यादव की बॉडी लैंग्वेज ठीक वैसी ही थी, जैसे क्रम परिवर्तन कर ओपनिंग उतारा गया बल्लेबाज जब अर्धशतक बना लेता है, तो उसके चेहरे पर एक लंबी पारी खेलने का भाव स्पष्ट दिखाई देता है। पेश है बातचीत का ब्यौरा ठीक वैसे ही जैसा पूछा गया और सीएम ने उसका जवाब दिया।
सीएम: (चेहरे पर गंभीरता) देखिए, मेरा अलग से कोई एजेंडा नहीं है। सिर्फ एक एजेंडा है कि प्रदेश का विकास कैसे हो। भगवान की कृपा से परिवार भी ऐसा मिला जिनकी कोई चाह नहीं है। मैं अपने पार्टी लीडर्स मोदी जी और अमित शाह साहब को काम करते देखकर ही आगे बढ़ रहा हूं। खुशी है कि सभी प्रदेश के वरिष्ठजन इस विकास यात्रा में शामिल हैं।
सीएम: (विश्वास का भाव) देखिए, जब हमें विकास करना होता है तो कई बार दायरों को भी तोड़ना होता है। कृषि विकास दर पहले से ही प्रदेश की अच्छी थी, लेकिन उसको भी बढ़ाने का हमने लक्ष्य तय किया। इसीलिए हमने सिंचाई पर फोकस किया। 44 लाख हेक्टेयर था, तो हमने लक्ष्य तय किया कि इसे 100 लाख तक होना चाहिए। कृषि पर हमने बजट भी दोगुना किया। जो ग्रोथ हो रही है, वह दिखाई भी देनी चाहिए। इसी प्रकार की राज्य के अंदर कमजोरी भी है, तो हमने उसे भी मौके के रूप में लिया। यदि हमारे पास समुद्र का किनारा नहीं है, तो हमारे पास लैंड बैंक अच्छी है, अन्य राज्यों तक सप्लाई चेन हमारे यहां से दी जा सकती है। इन सब चीजों पर फोकस किया।
सीएम: प्रदेश में कर्ज नहीं बढ़ा है। पिछले दो साल में देखें आप हमने कितना कर्ज लिया है। हमारा बजट 4.59 लाख करोड़ है। इतने बड़े बजट में हमने सिर्फ 72 हजार (करोड़) कर्ज लिया है, बाकी सब पुराना है। उस 72 हजार में भी 30 हजार करोड़ हमने पुराने कर्ज का मूलधन जमा किया है। और लोन लेना एक तरह से निवेश कराना है। किसी भी बड़े उद्योगपति को आगे बढ़ने के लिए लोन की जरूरत होती है और उन पैसों से वह समृद्ध होता है, तो वह प्रोग्रेस की निशानी है। यदि लोन नहीं लेगा तो विकास रुक जाएगा। तो हमारा फोकस है बजट को देखते हुए लोन लिया जाए जो निवेश का काम करे, इंफ्रा मजबूत करे। हम भारत सरकार की लोन सीमा 3 प्रतिशत वाली गाइडलाइंस के अंदर ही काम कर रहे हैं।
सीएम: बहुत अच्छा सवाल किया आपने। देखिए, कुछ लोग वाहवाही के लिए काम करते हैं लेकिन मैं ऐसा काम करने वाला व्यक्ति नहीं हूं। यदि मैं कुछ घोषणा करता हूं तो उसकी पूरी प्लानिंग कर लेता हूं कि उसे कैसे धरातल पर लेकर आऊंगा। मैंने वहां जो घोषणाएं की हैं, उनकी एजेंसी तक तय कर दी है कि कौन क्या काम करेगा, फंड कहां से आएगा। छतरपुर में मेडिकल कॉलेज दो साल में ही बनकर तैयार करा दिया है। दमोह का कॉलेज खड़ा कर दिया। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव सागर में की थी, तो हमने खाद का कारखाना चालू करके दिखा दिया। अब हमने पदों को भरने का अभियान शुरू कर दिया है। यदि मैंने नौरादेही में अभयारण्य शुरू करने की बात कही है, तो कल कैबिनेट में कई काम वहां के मंजूर कर दिए हैं, जनवरी में भूमिपूजन करने वाले हैं। अप्रैल-मई में चीते छोड़ देंगे। तो बोलना और करके दिखाने में फर्क साफ है। कांग्रेस सरकार ने पैकेज के नाम पर सिर्फ बुंदेलखंड को हवा में रखा था।
सीएम: सच में हमारे लिए यह चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन लगातार इस पर अच्छा काम हो रहा है। 30-40 माओवादी थे और हमारा क्षेत्र काफी बड़ा है, घना जंगल था। इतना बड़ा टाइगर अभ्यारण्य था, कहां ढूंढते? लेकिन हमने चुनौती स्वीकार की। आज हमारे तीनों जिले माओवादियों से मुक्त हैं, इक्का-दुक्का कोई बचा होगा तो उसे भी देख लेंगे। चंबल में डकैत समस्या हल हो चुकी है। यानी संगठित अपराध या आतंक को ध्वस्त किया जा रहा है और आगे भी किया जाता रहेगा।
सीएम: (चेहरे पर संतोषजनक भाव) देखिए, इसी साल भोपाल में भी मेट्रो शुरू हो जाएगी, जिसका दायरा बढ़ाया जा रहा है। मैंने पहले भी टूरिज्म, रेलवे, शहरी विकास विभागों में किसी न किसी रूप में काम किया है, तो उसका अनुभव मुझे अब काम आ रहा है। शहर बढ़ता है तो सिर्फ मास्टर प्लान से नहीं बढ़ता, उसके लिए मेट्रोपॉलिटन सिटी बनानी होगी। हमारे प्रदेश के जितने भी महानगर हैं, उनका दायरा मेट्रोपॉलिटन से बढ़ेगा। यह बिना लोक परिवहन के संभव नहीं हो सकता, इसलिए मेट्रो चल रही है। जल्दी ही सैकड़ों की संख्या में पीएम ई-बस सेवा भी शुरू होने जा रही है।
सीएम: जितनी कड़ी कार्रवाई मेरी ओर से की जा रही है, वह मिसाल है। गलत करने पर कभी डीएसपी या अन्य अफसरों को अपराधी बनाकर जेल में बंद नहीं किया गया, लेकिन हमने एक को नहीं दो-दो को कर दिया है। हमने पुलिसकर्मियों पर ही हत्या की धाराएं लगाकर उन्हें अंदर कर दिया। मंत्री के भाई ने गलती की, तो उनको तक नहीं छोड़ा; कार्रवाई में मंत्री ने भी साथ दिया। यह कोई छोटी बात नहीं है। भोपाल के मछली-मगरमच्छ सबको ठिकाने लगा दिया है। मेरा स्पष्ट सिद्धांत है- गलत करोगे तो भुगतना पड़ेगा। यही हमारे सुशासन के उच्चतम कीर्तिमान हैं।
सीएम: कांग्रेस को बोलने का हक नहीं है। जिनके शासनकाल में कांग्रेस के मंत्री मारे गए, वे हमें कानून व्यवस्था का पाठ न पढ़ाएं। मंत्री की हत्या होने के बाद भी उन्होंने कुछ नहीं किया, बल्कि अभी वे माओवादी कमांडर हिडमा के मारे जाने का दुख मना रहे हैं। माओवादी समस्या कांग्रेस की देन है, हमने तो खत्म की है। संगठित अपराध को हमेशा से उन्होंने पाला-पोसा है।
सीएम: बिल्कुल नहीं, उनका बयान किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। मैंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं, जल्दी ही आपको कार्रवाई भी देखने को मिलेगी। मैं फिर कहता हूं, जो गलत कहेगा या करेगा, उस पर कार्रवाई होगी ही, चाहे वह कोई हो।
सीएम: (हंसते हुए) बिल्कुल इस पर काम हो रहा है। जनवरी में यह फेरबदल होगा। अभी समीक्षा का दौर चल रहा है। प्रत्येक मंत्री की परफार्मेंस रिपोर्ट लगभग तैयार हो चुकी है। उसका परीक्षण किया जा रहा है। उसके बाद देखते हैं क्या करना है, लेकिन मंत्रिमंडल में विस्तार या फेरबदल तय है।
सर, नईदुनिया-दैनिक जागरण समूह से बात करने के लिए धन्यवाद।
सीएम: बहुत-बहुत धन्यवाद।