
वैभव श्रीधर, नईदुनिया, भोपाल। ब्राह्मण बेटियों को लेकर असभ्य टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश के आइएएस अधिकारी संतोष वर्मा की 'माफी' में राज्य सरकार उलझ गई है। दरअसल, संतोष ने अपनी टिप्पणी को लेकर विरोध के बीच सामान्य प्रशासन विभाग के नोटिस के जवाब में कहा है कि वैसे तो मेरे बयान का संदर्भ वो नहीं था, जो निकला गया, फिर भी किसी की भावनाएं आहत हुईं या ठेस पहुंची तो मैंने माफी मांग ली, खेद व्यक्त कर दिया।
अब सरकार इस 'माफी' में उलझ गई है, क्योंकि यह मामला अन्य सामान्य मामलों की तरह नहीं है, जिसमें नोटिस के जवाब पर निराकरण हो जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि ब्राह्मण समाज और कर्मचारी संगठन कड़ी कार्रवाई न होने को लेकर आंदोलित हैं। वहीं, आदिवासी वर्ग के संगठन स्वजातीय संतोष के समर्थन में उतर आए हैं। ऐसे में सरकार के सामने चुनौती यह है कि मामले का सर्वमान्य समाधान कैसे निकाले।
यह मामला अब एक आईएएस अधिकारी के आपत्तिजनक बयान तक सीमित नहीं है। एक तो बयान जिस मंच से दिया गया, वह अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) का था। अवसर प्रांतीय अधिवेशन का था, जिसमें प्रदेशभर से लगभग पांच हजार अधिकारी-कर्मचारी एकत्र हुए।
यह शासन द्वारा मान्यता प्राप्त संगठन है। इसके मंच से इस तरह के बयान की अपेक्षा नहीं की जाती है और कभी ऐसी बात हुई भी नहीं। दूसरा, यह कि मामला अब ब्राह्मण और आदिवासी वर्ग से जुड़ गया है।
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव सहित भाजपा के अन्य सांसद-विधायक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, आदिवासियों के संगठन संतोष के समर्थन में आ गए हैं। जगह-जगह वे भी ज्ञापन दे रहे हैं। संभवत: प्रदेश के किसी आईएएस अधिकारी का यह पहला ऐसा मामला है, जिसे लेकर दूसरे राज्य बिहार की विधानसभा में मुद्दा उठा और आपत्तिजनक टिप्पणी पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई।
मामले की गंभीरता का अंदाजा भी इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान तो ठीक पूर्व अधिकारी भी सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से कतरा रहे हैं।
दो पूर्व मुख्य सचिवों ने नईदुनिया से कहा कि इस मामले में नोटिस और जवाब को केवल खेद व्यक्त करने से जोड़कर ही नहीं देखा जा सकता है। एक वर्ग विशेष की भावनाएं आहत हुई हैं, इसलिए सभी पहलुओं को देखना होगा। यही कारण है कि सामान्य प्रशासन विभाग भी किसी जल्दबाजी में नहीं है।
माना यही जा रहा है कि संतोष के जवाब का सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर परीक्षण किया जाएगा, फिर 'उच्च स्तर' से ही निर्धारित होगा कि आगे क्या कदम उठाया जाना है।