
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) का अकूत भंडार मिला है इससे अब भारत की चीन जैसे देशों पर निर्भरता नहीं रहेगी। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में जानकारी दी थी कि भारत में पहली बार इतनी विशाल मात्रा में इन दुर्लभ तत्वों का पता चला है।
यह उपलब्धि भारत को ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रानिक्स और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश अब क्रिटिकल मिनरल्स हब बनेगा। प्रदेश ऊर्जा राजधानी के साथ क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी भी कहलाएगा।
बता दें कि रेयर अर्थ एलिमेंट्स, जिन्हें आरईई भी कहा जाता है, 17 विशेष रासायनिक तत्वों का समूह है। इनमें लैंथेनम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रेजोडायमियम और यट्रियम जैसे तत्व शामिल हैं। इन्हें पृथ्वी की सतह से निकालना और शुद्ध करना बेहद जटिल और महंगा है इसलिए इन्हें दुर्लभ कहा जाता है। रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खोज को देखते हुए राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण और शोध-अन्वेषण के लिए बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में जुटी है।

हाल ही में खनिज संसाधन विभाग रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित करने की संभावनाएं तलाश रहा है, जो अनुसंधान, प्रशिक्षण और उद्योग को विश्वस्तरीय आधार प्रदान करेगा। सिंगरौली जिले में मिले इस खजाने से भारत ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहनों और उच्च तकनीकी उद्योगों में आत्मनिर्भर बनेगा।
आने वाले समय में यह खोज आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने के साथ ही औद्योगिक विकास को नई रफ्तार देगी। कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा किए गए शोध में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में इनकी औसत मात्रा 250 पीपीएम और गैर-कोयला स्तर पर लगभग 400 पीपीएम आंकी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कोयले की राख और ओवरबर्डन भी क्रिटिकल मिनरल्स का सैकंडरी स्रोत बन सकते हैं।
रेयर अर्थ एलिमेंट्स का उपयोग अनेक आधुनिक उद्योगों में किया जाता है। इसका उपयोग रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक जैसे सैमरियम-कोबाल्ट और नियोडिमियम चुम्बक उच्च-प्रदर्शन वाले हथियारों, उपग्रह संचार और रक्षा इलेक्ट्रानिक्स में अनिवार्य हैं। पेट्रोलियम उद्योग, डिस्प्ले और प्रकाश उपकरण, आटोमोबाइल सेक्टर में उपयोग किया जाता है।