
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। पराली जलाने में मध्य प्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। मध्य प्रदेश में रबी फसलों के लिए खेत तैयार करने के लिए पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 13 नवंबर को मध्य प्रदेश ने देर रात इस मामले में पंजाब को पीछे छोड़ दिया। देशभर में पराली जलाने की सर्वाधिक 5,146 घटनाएं मध्य प्रदेश में सामने आई हैं, जबकि पंजाब में 4,734 घटनाएं सामने आईं हैं।
रोक नहीं लगा पा रही
मध्य प्रदेश में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद पराली जलाने पर रोक नहीं लग पा रही है। कुछ जिलों में किसानों के ऊपर एफआईआर भी हुई, लेकिन इसका अधिक असर नहीं हुआ। स्थिति यह है कि 13 नवंबर को पराली जलाने की देशभर में 1,209 घटनाएं सामने आईं। इसमें सर्वाधिक 709 घटनाएं मध्य प्रदेश में हुईं, जबकि पंजाब में 72 घटनाएं सामने आईं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की संस्था कंसोर्टियम फार रिसर्च आन एग्रोइकोसिस्टम मानिटरिंग एंड माडलिंग फ्राम स्पेस की रिपोर्ट के अनुसार 15 सितंबर से 13 नवंबर 2025 में पराली जलाने की देशभर में कुल 15,002 घटनाएं सामने आई हैं। इसमें सर्वाधिक 5,146 मध्य प्रदेश, 4,734 पंजाब, 2,783 उत्तर प्रदेश, 1,856 राजस्थान, 479 हरियाणा और चार घटनाएं दिल्ली में सामने आई हैं।
इस समय भी था नम्बर वन
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 में 14 सितंबर से 14 नवंबर की अवधि में पराली जलाने की देश में सर्वाधिक 8,017 घटनाएं मध्य प्रदेश में दर्ज हुई थीं। दरअसल, इस वर्ष अतिवर्षा के कारण एक तो खरीफ फसल की बोवनी पिछड़ गई थी और दूसरा कुछ जगहों पर दोबारा बोवनी करनी पड़ी। इस वजह से कटाई में भी विलंब हुआ। मजदूरी भी महंगी हो गई है। यदि हैप्पी सीडर या अन्य यंत्रों से पराली को मिट्टी में मिलवाया जाता है तो लागत बढ़ जाती है, इसलिए किसान हार्वेस्टर से धान कटवाने के बाद खेत साफ करने के लिए अवशेष में आग लगा देते हैं और फिर चना, गेहूं या फिर रबी सीजन की अन्य फसलों की बोवनी करते हैं।
पराली न जलाएं, उत्पादन क्षमता होती है प्रभावित
किसान पराली न जलाएं, इसके लिए सरकार उन्हें जागरूक करने का प्रयास कर रही है। उन्हें बताया जा रहा है कि पराली जलाने से भूमि के पोषक तत्व जल जाते हैं। उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। पराली को विभिन्न यंत्रों के माध्यम से सीधे मिट्टी में मिलाया जा सकता है। इसके लिए सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, मल्चर, रीपर सहित अन्य यंत्रों पर 50 प्रतिशत तक अनुदान भी दिया जा रहा है। 2025-26 में कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय को 1,928 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके साथ ही पराली को एकत्र कर प्लांट भेजने के लिए बड़े कृषि यंत्रों पर 65 प्रतिशत तक का अनुदान की सुविधा दी गई है। ट्राइडेंट, वर्धमान जैसी कंपनियां पराली खरीद रही हैं।
आठ दिनों में 3,815 घटनाएं
प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं पिछले आठ दिन में तेजी के साथ बढ़ी हैं। छह नवंबर को 354, सात को 237, आठ को 353, नौ को 398, 10 को 422, 11 को 1,052, 12 को 868 और 13 नवंबर को 709 घटनाएं सामने आईं। इस प्रकार देखें तो सैटेलाइट के माध्यम से आठ दिनों में प्रदेश में 4,393 घटनाएं दर्ज हुई हैं।
पराली जलाने की घटनाएं इन जिलों में अधिक