नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी के प्रतिष्ठित जयप्रकाश (जेपी) अस्पताल में शनिवार को प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही ने मरीजों की जान खतरे में डाल दी। सुबह करीब एक घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल रही और बैकअप के लिए रखा जनरेटर इसलिए नहीं चला क्योंकि उसमें डीजल ही नहीं था। इस आपात स्थिति की वजह से ऑपरेशन थियेटर में सर्जरी के लिए तैयार मरीज का ऑपरेशन टालना पड़ा, वहीं डायलिसिस यूनिट में आठ मरीजों की प्रक्रिया बीच में ही रोकनी पड़ी।
शनिवार सुबह लगभग 9:55 बजे एक मरीज को सर्जरी के लिए एनेस्थीसिया देकर ऑपरेशन टेबल पर लिटाया गया था। 10:05 पर पूरे अस्पताल की बिजली चली गई। उस समय सर्जन मरीज को चीरा लगाने की तैयारी पूरा कर चुके थे। ओटी में अंधेरा छा गया और केवल यूपीएस से चल रहे मॉनिटर की हल्की रोशनी बची थी। कुछ मिनट इंतजार के बाद भी जब बिजली नहीं आई तो डॉक्टरों को मोबाइल की टॉर्च जलानी पड़ी। गनीमत रही कि मरीज को चीरा नहीं लगा था, जिसके बाद डॉक्टरों ने एनेस्थीसिया का असर खत्म कर सर्जरी को स्थगित कर दिया। इस घटना के कारण दो ऑपरेशन टालने पड़े।
अस्पताल में बिजली गुल होने का गंभीर असर डायलिसिस यूनिट पर भी पड़ा। सुबह आठ बजे से चल रही आठ मरीजों की डायलिसिस प्रक्रिया अचानक ठप हो गई। मशीनों का बैकअप भी महज 25 मिनट ही साथ दे सका, जबकि प्रक्रिया पूरी होने में एक घंटे से ज्यादा का समय बाकी था। मरीजों की सुरक्षा को देखते हुए यूनिट इंचार्ज ने डायलिसिस रोकने का फैसला किया और किसी भी आपात स्थिति के लिए ब्लड बैंक को खून रिजर्व रखने के निर्देश दिए। इस दौरान मरीज और उनके परिजन उमस और घुटन से बेहाल होते रहे।
बिजली जाने के बाद जब अस्पताल कर्मचारियों ने जनरेटर चालू करने का प्रयास किया, तो वह स्टार्ट ही नहीं हुआ। जांच करने पर पता चला कि जनरेटर की टंकी में डीजल ही नहीं था। यह जानकर मरीजों के परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। सीएमएचओ डा. मनीष शर्मा ने अस्पताल प्रबंधक प्रेमचंद गुप्ता को फटकार लगाई, उसके बाद डीजल की व्यवस्था कर जेनरेटर को चालू किया गया।
ट्रांसफार्मर में खराबी के कारण बिजली गई थी, लेकिन जनरेटर का न चलना एक गंभीर चूक है। इसमें 50 प्रतिशत से कम डीजल था। उसकी क्षमता 1200 लीटर की है। तकनीकी कारणों की जांच के लिए एक समिति बनाई जा रही है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी- डा. मनीष शर्मा, सीएमएचओ व सिविल सर्जन।