नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। भोपाल रेलवे स्टेशन के पास स्थित निशातपुरा आउटर पर प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक ट्रेनों को घंटों तक रोका जा रहा है, जिससे दो से ढाई हजार यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि पमरे जोन की महाप्रबंधक (जीएम) शोभना बंदोपाध्याय द्वारा 15 जुलाई को ट्रेन पंक्चुअलिटी सुधारने को लेकर भोपाल रेल मंडल को सख्त निर्देश दिए गए थे, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। मंडल के अधिकारी ट्रेनों को आउटर पर रोकने के पीछे हमेशा एक ही कारण बताते हैं कि आगे ट्रैक पर ट्रेन है या स्टेशन पर प्लेटफॉर्म खाली नहीं है।
बीना ओर से भोपाल आने वाली यात्री ट्रेनें आए दिन सुखी सेवनियां व निशातपुरा आउटर पर रोक दी जाती हैं। जिन ट्रेनों को नियमित रूप से रोका जाता है उनमें आजमगढ़-मुंबई लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस, प्रतापगढ़-भोपाल सुपरफास्ट एक्सप्रेस, राज्यरानी, विंध्याचल, बिलासपुर-भोपाल, जोधपुर-भोपाल एक्सप्रेस सहित करीब एक दर्जन ट्रेनें शामिल हैं। इन ट्रेनों में यात्रा करने वाले अधिकतर यात्री नौकरीपेशा वर्ग से हैं जो भोपाल पहुंचकर सीधे अपने दफ्तरों को जाते हैं। लेकिन लगातार देरी से आफिस लेट पहुंचना उनकी बड़ी समस्या बन चुका है।
केस 1 : ट्रेन 20104 आजमगढ़ - मुम्बई एलटीटी सुपरफास्ट एक्सप्रेस को रविवार को निशातपुरा आउटर पर एक घंटे तक रोका गया। यात्री अभिषेक श्रीवास्तव ने रेलवे से इसकी शिकायत की, लेकिन फिर भी कोई तत्काल राहत नहीं मिली।
केस 2 : ट्रेन 12184 मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ - भोपाल सुपरफास्ट एक्सप्रेस को सुखी सेवनियां स्टेशन पर देर तक रोका गया, जबकि ट्रेन पहले से ही ढाई घंटे की देरी से चल रही थी। दीपक विश्वकर्मा नामक यात्री ने शिकायत की, पर स्थिति जस की तस बनी रही।
भोपाल स्टेशन की क्षमता बढ़ाने के लिए छह महीने पहले 700 मीटर लंबे सात नंबर प्लेटफॉर्म के निर्माण की योजना बनाई गई थी, जो अब तक शुरू नहीं हो सकी है। इसके साथ ही एक नंबर प्लेटफॉर्म की ओर नई लाइन बनाने की योजना भी अधर में लटकी है। यदि इन योजनाओं पर समय रहते अमल हो जाता, तो ट्रेनों को आउटर पर रोके जाने की समस्या काफी हद तक कम हो सकती थी।